प्रधानमंत्री मोदी ने ब्रिक्स सम्मेलन को संबोधित किया और कहा कि भारत ब्रिक्स के तहत सहयोग बढ़ाने के लिए पूरी तरह प्रतिबद्ध है। पीएम ने कहा कि विविधता और मानवता में हमारा विश्वास ही हमारी ताकत है और यही हमारी आने वाली पीढ़ियों के समृद्ध और मजबूत भविष्य को सार्थक आकार देने में मदद करेगा। इस दौरान प्रधानमंत्री मोदी ने ब्राजील के राष्ट्रपति को ब्रिक्स के अगले अध्यक्ष के रूप में अपनी शुभकामनाएं दी है और कहा कि भारत उनका पूरा सहयोग करेगा। प्रधानमंत्री के ब्रिक्स सम्मेलन में दिए भाषण की अहम बातें आप यहां पढ़ सकते हैं:
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- प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने इस दौरान कहा कि 2022 में शुरू किया जाने वाला ब्रिक्स वैक्सीन अनुसंधान एवं विकास केंद्र सभी देशों की स्वास्थ्य सुरक्षा को बढ़ाने में मदद कर रहा है। हमें डिजिटल स्वास्थ्य में भारत के सफल अनुभव को ब्रिक्स भागीदारों के साथ साझा करने में खुशी होगी।
- पीएम मोदी ने इस दौरान कहा कि हमारी यह बैठक ऐसे समय में हो रही है, जब दुनिया युद्ध, संघर्ष, आर्थिक अनिश्चितता, जलवायु परिवर्तन, आतंकवाद जैसी अनेक चुनौतियों से घिरा हुआ है। दुनिया में उत्तर-दक्षिण और पूर्व-पश्चिम विभाजन की चर्चा है और टेक्नोलॉजी के युग में साइबर सुरक्षा, डीप फेक, दुष्प्रचार जैसी नई चुनौतियां सामने आई हैं। ऐसे में ब्रिक्स से बहुत अपेक्षाएं हैं। मेरा मानना है कि एक विविध और समावेशी मंच के रूप में ब्रिक्स सभी मुद्दों पर सकारात्मक भूमिका निभा सकता है।
- पीएम मोदी ने कहा किहम युद्ध का नहीं, बल्कि संवाद और कूटनीति का समर्थन करते हैं और जिस तरह हमने मिलकर कोविड जैसी चुनौती को हराया, उसी तरह हम भावी पीढ़ी के लिए सुरक्षित, मजबूत और समृद्ध भविष्य के लिए नए अवसर पैदा करने में पूरी तरह सक्षम हैं।
- पीएम ने कहा कि आतंकवाद और आतंकी जहर से निपटने के लिए हम सभी को एकजुट होना होगा और मजबूती से सहयोग करना होगा। ऐसे गंभीर मुद्दे पर दोहरे मानदंडों के लिए कोई जगह नहीं है। हमें अपने देशों के युवाओं में कट्टरपंथ को रोकने के लिए सक्रिय कदम उठाने चाहिए। हमें संयुक्त राष्ट्र में अंतर्राष्ट्रीय आतंकवाद पर व्यापक सम्मेलन के लंबित मुद्दे पर मिलकर काम करना होगा।
- पीएम ने इस दौरान कहा कि भारत ब्रिक्स भागीदार देश के रूप में नए देशों का स्वागत करने के लिए तैयार है। इस संबंध में सभी निर्णय सर्वसम्मति से लिए जाने चाहिए और ब्रिक्स के संस्थापक सदस्यों के विचारों का सम्मान किया जाना चाहिए। जोहान्सबर्ग शिखर सम्मेलन में हमने जो मार्गदर्शक सिद्धांत, मानक, मानदंड और प्रक्रियाएं अपनाई थीं, उनका सभी सदस्य और भागीदार देशों द्वारा पालन किया जाना चाहिए।
