Hanuman Ji in lying down posture: शास्त्रों में प्रयागराज को सभी तीर्थों में श्रेष्ठ माना गया है। इसे तीर्थराज का दर्जा इसलिए प्राप्त है क्योंकि यहां गंगा, यमुना और अदृश्य सरस्वती का संगम होता है। इस त्रिवेणी संगम की आध्यात्मिक महत्ता अनंत है। मान्यता है कि यहां स्नान करने से समस्त पापों का नाश होता है और जीवन में नई ऊर्जा का संचार होता है। यहां की सबसे बड़ी पहचान श्री लेटे हनुमान जी का प्राचीन मंदिर है। संगम के निकट स्थित यह मंदिर भारतीय संस्कृति और धर्म का अद्भुत प्रतीक है। यह मंदिर अनूठा इसलिए भी है क्योंकि यहां हनुमान जी की प्रतिमा लेटी हुई मुद्रा में है। ऐसी स्थिति में हनुमान जी की मूर्ति भारत में कहीं और नहीं मिलती है।
प्रयागराज में कैसे पहुंचे हनुमान जी और क्यों लेट गए
हनुमान जी का यह मंदिर अपनी कहानी और चमत्कारिक महत्व के लिए प्रसिद्ध है। प्राचीन कथा के अनुसार कन्नौज के एक धनी व्यापारी ने विंध्याचल के पत्थरों से हनुमान जी की एक भव्य प्रतिमा तैयार करवाई थी। वह प्रतिमा को कई तीर्थों पर स्नान कराने के बाद अपने राज्य ले जाने की योजना में था। जब वह प्रयागराज के संगम पर पहुंचा, तो उसने स्वप्न में देखा कि यदि वह यह प्रतिमा यहीं स्थापित कर दे, तो उसकी सभी इच्छाएं पूरी हो जाएंगी। उसने ऐसा ही किया और उसकी मनोकामना पूर्ण हुई।
लेकिन प्रतिमा कुछ समय बाद रेत में समा गई। इसे पुनः खोजने का श्रेय संत बालगिरी जी महाराज को जाता है। उन्होंने इसे रेत के नीचे से निकालकर वहीं स्थापित कर दिया। तब से यह स्थान भक्तों के लिए श्रद्धा और आस्था का केंद्र बन गया।
मुगल काल में हटाने का प्रयास हुआ था विफल
इस मंदिर की ऐतिहासिक यात्रा मुगल काल से भी जुड़ी है। जब अकबर ने प्रयागराज किले का निर्माण शुरू किया, तो यह मंदिर उसकी योजना में बाधा बन रहा था। अकबर ने प्रतिमा को हटाने का प्रयास किया, लेकिन हर बार मूर्ति और गहराई में धंस जाती। अंततः उसे हार माननी पड़ी और दीवार को बदलना पड़ा।
इसके बाद औरंगजेब ने जब मंदिर को तोड़ने का आदेश दिया, तो उसके सैनिक भी मूर्ति को हिलाने में असफल रहे। जितना प्रयास किया गया, मूर्ति उतनी ही जमीन में समा गई। यही कारण है कि आज यह मूर्ति जमीन के 6-7 फीट नीचे स्थित है।
हर वर्ष गंगा अंदर आकर हनुमान जी को कराती हैं स्नान
प्रयागराज का महाकुंभ दुनिया भर के श्रद्धालुओं के लिए अद्वितीय अनुभव है। लाखों भक्त संगम में डुबकी लगाकर पवित्रता का अनुभव करते हैं। खास बात यह है कि हर साल गंगा का जलस्तर बढ़ने पर यह मंदिर पूरी तरह जलमग्न हो जाता है। लेकिन लोग मानते हैं कि यह गंगा मैया का हनुमान जी को स्नान कराने का दिव्य चमत्कार है। जब गंगा का जल हनुमान जी तक पहुंचकर उनका स्नान कराता है, तब जलस्तर स्वतः कम हो जाता है।
आध्यात्मिकता का अटूट केंद्र हनुमान जी को संकटमोचक और अद्भुत शक्ति के प्रतीक के रूप में पूजा जाता है। यहां दर्शन करने वाले भक्तों का मानना है कि उनकी सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं। मंगलवार और शनिवार को यहां भक्तों की भीड़ विशेष रूप से बढ़ जाती है। मंदिर में बांस पर चढ़ाए गए निशान (झंडे) श्रद्धालुओं की आस्था के प्रतीक हैं।
यह मंदिर केवल एक धार्मिक स्थल नहीं है, बल्कि भारतीय संस्कृति, इतिहास और आध्यात्मिकता का सजीव दस्तावेज़ है। त्रिवेणी संगम के तट पर स्थित यह मंदिर महाकुंभ के दौरान लाखों श्रद्धालुओं के लिए आकर्षण का मुख्य केंद्र बन जाता है। प्रयागराज का श्री लेटे हनुमान जी मंदिर केवल एक मंदिर नहीं, बल्कि आस्था, चमत्कार और आध्यात्मिकता का केंद्र है। महाकुंभ और संगम के साथ इसका महत्व और भी बढ़ जाता है। यह स्थल केवल भारत ही नहीं, बल्कि पूरी दुनिया के श्रद्धालुओं के लिए प्रेरणा और शांति का संदेश देता है।
संगम तट पर बन रहा है हनुमान मंदिर का भव्य कॉरिडोर
संगम तट पर स्थित बड़े हनुमान मंदिर को नई भव्यता देने के लिए कॉरिडोर का निर्माण तेजी से किया जा रहा है। इस परियोजना की जिम्मेदारी यूनिवस्तु बूट्स इंफ्रा लिमिटेड को दी गई है। पहले चरण का काम दिसंबर तक पूरा होने की योजना है, जबकि अगले चरण का कार्य महाकुंभ के बाद आरंभ होगा। कॉरिडोर का निर्माण 11,186 वर्गमीटर (2.76 एकड़) में किया जा रहा है, जिसमें सबसे पहले चहारदीवारी बनाई जाएगी। साथ ही, निर्माण के दौरान कब्जा हटाने की प्रक्रिया भी शुरू होगी। मौजूदा मंदिर परिसर और सामने के पार्क को मिलाकर इस कॉरिडोर का विस्तार किया जाएगा। वर्तमान में मंदिर में प्रवेश के लिए केवल दो द्वार हैं, लेकिन कॉरिडोर बनने के बाद यहां छह द्वार होंगे, जिससे श्रद्धालु अक्षयवट मार्ग से प्रवेश कर सकेंगे। संगम स्नान के बाद श्रद्धालु अक्षयवट मार्ग से कॉरिडोर में आएंगे, मंदिर में दर्शन करेंगे और बांध की ओर से बाहर निकलेंगे। इस यात्रा के दौरान अक्षयवट का दर्शन भी संभव होगा।
नए कॉरिडोर में श्रद्धालुओं के लिए अत्याधुनिक सुविधाएं उपलब्ध कराई जाएंगी। 6170 वर्गमीटर क्षेत्र में ओपन हॉल का निर्माण किया जाएगा, जिसमें 624 वर्गमीटर में घुमावदार प्रवेश मार्ग बनाया जाएगा। इसके अतिरिक्त सिक्योरिटी रूम, किचन, सुविधा ब्लॉक और महंत भवन भी बनाए जाएंगे। श्रद्धालुओं की सुविधा के लिए बैठने के लिए बेंच और हरियाली की विशेष व्यवस्था होगी। चहारदीवारी पर पूजन सामग्री और प्रसाद की 40 दुकानें बनाई जाएंगी, जो भक्तों को सेवा प्रदान करेंगी। मंदिर के गर्भगृह को छोड़कर बाकी सभी निर्माण कार्य दिसंबर तक पूरा कर लिया जाएगा। इस परियोजना का टेंडर 38.73 करोड़ रुपए में हुआ है, जो मंदिर को आध्यात्मिक और भौतिक रूप से अधिक भव्य और सुविधाजनक बनाएगा।