मराठवाड़ा क्षेत्र के सूखा प्रभावित उस्मानाबाद में पिछले 16 महीनों में 200 से ज्यादा किसान आत्महत्या कर चुके हैं । इनमें 76 मामलों में जिला प्रशासन ने परिजनों द्वारा मांगी गई सरकारी सहायता के प्रस्ताव को खारिज कर दिया है। जिला कलेक्टर का कहना है कि 76 मामलों में जांच के बाद सहायता प्रस्ताव खारिज किए गए हैं । लगातार चार साल से भीषण जल संकट का सामना कर रहे उस्मानाबाद जिले में पिछले 16 महीनों में 212 किसान आत्महत्या कर चुके हैं।
आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार 120 मामलों में परिजनों को सरकारी सहायता उपलब्ध कराई गई है। ब्योरे के अनुसार जिला प्रशासन ने सहायता के 76 प्रस्ताव खारिज कर दिए और आत्महत्या के 16 मामले जांच के लिए अब भी लंबित हैं। पिछले साल उस्मानाबाद में 164 किसानों ने आत्महत्या की। किसानों की आत्महत्या की यह संख्या जिले में पिछले एक दशक में सबसे ज्यादा है। इस साल अप्रैल तक 48 किसानों ने सूखा, सूदखोर रिणदाताओं द्वारा कर्ज वापसी के लिए परेशान किए जाने तथा फसल नष्ट हो जाने जैसे कारणों के चलते आत्महत्या की है।
जिले के देवालाली गांव में किसान प्रशांत कासपाटे (35) ने पिछले साल अक्तूबर में फसल नष्ट होने और निजी सूदखोर रिणदाताओं द्वारा रिण वापसी के लिए परेशान किए जाने की वजह से कथित तौर पर फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली थी। जिला प्रशासन ने उसकी 70 वर्षीय माँ सुबाबी कासपाटे के सहायता प्रस्ताव को यह कहकर खारिज कर दिया कि प्रशांत ने किसी राष्ट्रीयकृत बैंक से कर्ज नहीं लिया था। सुबाबी अब आर्थिक तंगी में अकेले रह रही है और अब भी सरकारी मदद का इंतजार कर रही है। उसी की तरह अन्य परिवार भी सरकारी मदद का इंतजार कर रहे हैं।
उस्मानाबाद के जिला कलेक्टर डॉ. प्रशांत नार्नावेर ने कहा, ‘हम किसानों के साथ हैं। हमने प्रस्ताव जांच के बाद खारिज किए हैं।’ उन्होंने कहा, ‘हम उन निजी सूदखोरों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई कर रहे हैं जो किसानों को प्रताड़ित करते हैं और किसानों से अपील करते हैं कि वे सूदखोरों के खिलाफ लिखित शिकायत करें।’ इस बीच, पूर्व राज्य मंत्री और उस्मानाबाद में तुलजापुर से कांग्रेस विधायक मधुकरराव चव्हाण ने खारिज किए गए सभी प्रस्तावों की नए सिरे से जांच कराए जाने और मृत किसानों के परिजनों की मदद करने की मांग की।
उन्होंने कहा, ‘सूखे की गंभीर स्थिति में सरकार और प्रशासन किसानों की आत्महत्या के मामलों में यह तय करने में व्यस्त हैं कि वे मदद के हकदार हैं या नहीं । सरकार को नियम बदलने की जरूरत है तथा उसे हर तरह की मदद उपलब्ध करानी चाहिए।’ चव्हाण ने यह भी कहा कि कांग्रेस जल्द ही इस मुद्दे पर सरकार के खिलाफ प्रदर्शन करेगी।