सरकार ने ‘वन रैंक, वन पेंशन’ योजना के तहत पेंशन में हर साल संशोधन से इनकार कर दिया है तो दूसरी ओर आंदोलन कर रहे पूर्व सैन्यकर्मियों ने कहा है कि वे द्विवार्षिक बढ़ोतरी के लिए तैयार हैं।
वित्त मंत्री अरुण जेटली ने सरकार की ओर से उच्च पेंशन दरों के साथ कम उम्र में सेवानिवृत्त होने वाले सैनिकों के हितों की रक्षा करने की बात पर जोर देते हुए कहा कि पेंशन में वार्षिक संशोधन दुनिया में कहीं भी नहीं होता। उन्होंने कहा कि सरकार ओआरओपी के लिए प्रतिबद्ध है लेकिन ‘केवल एक मुश्किल है’ और वह है उसका ‘गणितीय जमा घटा’।
जेटली ने कहा, ‘ओआरओपी का मतलब क्या है, इसके लिए मेरा अपना फार्मूला है। किसी और का ओआरओपी पर अपना फार्मूला हो सकता है लेकिन यह तार्किक मापदंडों के अनुरूप होना चाहिए। आप ऐसा ओआरओपी नहीं लागू कर सकते जहां पेंशन हर महीने या हर साल संशोधित होती हो।’ वित्त मंत्री ने साथ ही कहा कि सरकारी कर्मचारियों के लिए सातवें वेतन आयोग की सिफारिशें जल्द ही आएंगी।
जेटली ने समाचार चैनल ‘ईटी नाऊ’ से बातचीत में कहा, ‘मैं पैसे को लेकर बेहद सतर्क रहता हूं और इसलिए मेरा काम वास्तव में एक गृहिणी की तरह है जिसे घर में खर्च होने वाले एक-एक पैसे का हिसाब किताब रखना पड़ता है ताकि आप जरूरत से अधिक खर्च न कर दें और उधार मांगने की नौबत न आए। लेकिन यदि आप एक सीमा से अधिक उधार मांगते हैं तो आप वित्तीय अनुशासनहीनता में शामिल होते हैं।’
पूर्व सैनिक वन रैंक वन पेंशन की अपनी मांग को लेकर पिछले 78 दिनों से यहां जंतर मंतर पर धरना दे रहे हैं। उनकी मांगों में पेंशन में सालाना संशोधन भी शामिल है। जेटली के बयान पर प्रतिक्रिया करते हुए ‘इंडियन एक्स-सर्विस मूवमेंट’ के अध्यक्ष लेफ्टिनेंट जनरल (सेवानिवृत्त) बलबीर सिंह ने कहा कि पूर्व सैन्यकर्मी पेंशन में द्विवार्षिक बढ़ोतरी के लिए तैयार हैं। सिंह ने कहा, ‘हमने सरकार को पहले ही बता दिया है कि हम पेंशन में हर दो साल में बढ़ोतरी के लिए तैयार हैं। अब तक हमने इस पर सरकार की ओर से कुछ नहीं सुना था इसलिए हम चुप थे।’
यह पूछे जाने पर कि आगे सरकार के साथ बातचीत की जाएगी तो उन्होंने कहा कि अगर सरकार चाहेगी तो हम बातचीत करेंगे। उधर, वरिष्ठ वकील राम जेठमलानी ने जंतर-मंतर पहुंचकर आंदोलन कर रहे पूर्व सैन्यकर्मियों का समर्थन किया।
वित्त मंत्री अरुण जेटली ने कहा, ‘हम सिद्धांतत: (ओआरओपी) को स्वीकार करते हैं। हम सिद्धांत को लागू करेंगे लेकिन ऐसा माहौल नहीं बनाना चाहिए जहां समाज के अन्य वर्ग भी इसी प्रकार की मांगें रखना शुरू कर दें।’ हालांकि उन्होंने कहा, ‘हम 35 से 38 साल की उम्र में रिटायर होने वाले सैनिकों के हितों की सुरक्षा करना चाहेंगे और समाज को भी उनकी रक्षा करनी चाहिए। इसलिए एक विशेष फार्मूले पर उच्च पेंशन समझ में आती है लेकिन इसमें हर साल संशोधन नहीं किया जा सकता।’
उन्होंने कहा कि भारतीय राजनीतिक विचार प्रक्रिया जो तार्किक तरीके से सोचती है वह केवल भावनाओं के आधार पर ‘अतार्किक रियायत’ नहीं देगी । उन्होंने कहा कि इस प्रकार के कदम से अन्य वर्गो के लिए एक रवायत हो जाएगी और वे इसी प्रकार के लाभों की मांग कर सकते हैं।
जेटली ने कहा, ‘क्या बीएसएफ इसे कर सकता है? क्या सीआरपीएफ ऐसा कर सकता है? जाहिर सी बात है कि विवेकवान भारत कहेगा कि यह सही कदम नहीं है। आप कोई ऐसा कदम नहीं उठा सकते जिसका खमियाजा आने वाली पीढ़ियों को भुगतना पड़े। इसलिए तार्किक आधार पर निश्चित रूप से हम ओआरओपी को लागू करने में सक्षम होंगे।’
* कम उम्र में रिटायर होने वाले सैनिकों के हितों की रक्षा करेंगे
* सरकार ओआरओपी के लिए प्रतिबद्ध लेकिन केवल एक मुश्किल है और वह है उसका गणितीय जमा घटा
* ऐसा माहौल नहीं बनाना चाहिए जहां समाज के अन्य वर्ग भी इसी तरह की मांगें रखना शुरू कर दें