नई दिल्ली। ‘वन रैंक वन पेंशन’ (ओआरओपी) के विवाद पर बीते तीन दिन से लगातार पूर्व सैनिकों और सरकार के बीच चल रही बातचीत का कोई हल नहीं निकला है। विरोध कर रहे पूर्व सैनिकों ने पर्दे के पीछे चल रही बातचीत में बुधवार को सरकार के फॉर्मूले को खारिज कर दिया। मुख्य रूप से तीन बिंदुओं पर गतिरोध बना हुआ है।
एक सूत्र ने यहां कहा कि सरकार कुछ बदलाव पर तुली हुई है। गतिरोध के केवल तीन बिंदु हैं। सूत्रों ने कहा कि सरकार चाहती है कि आधार वर्ष 2011 हो और तीन फीसद वार्षिक बढ़ोतरी नहीं हो। सरकार यह भी चाहती है कि भुगतान एक अप्रैल 2015 से हो न कि एक अप्रैल 2014 से।
पूर्व सैनिक आंदोलन के सूत्र ने कहा कि उन्होंने प्रस्ताव को खारिज कर दिया है। उनका आंदोलन और तेज होगा। जटिल गणित का मतलब है कि उन्हेंं कम भुगतान मिलेगा। पूर्व सैनिकों के प्रतिनिधियों और सेना प्रमुख जनरल दलबीर सिंह सुहाग के बीच करीब दो घंटे चली बैठक के बाद यह बात सामने आई।सरकारी सूत्रों ने अब कहा है कि इन मतभेदों के परिप्रेक्ष्य में ओआरओपी पर अगले कुछ दिनों में कोई घोषणा होने की संभावना नहीं है।
कयास लगाए जा रहे थे कि पाकिस्तान के साथ 1965 में हुए युद्ध की 50वीं वर्षगांठ के अवसर पर सरकार 28 अगस्त को ओआरओपी की घोषणा कर सकती है। छह पूर्व सैनिक आमरण अनशन पर हैं और उनमें से दो फिलहाल अस्पताल में भर्ती हैं। जो सैनिक आमरण अनशन पर हैं उनमें कर्नल पुष्पेन्द्र सिंह, हवलदार मेजर सिंह, हवलदार साहिब सिंह, हवलदार अशोक चौहान, मेजर पियार चंद और नायक उदय सिंह शामिल हैं।
योजना से करीब 22 लाख पूर्व सैनिक और युद्ध में शहीद छह लाख से ज्यादा जवानों की विधवाएं लाभान्वित होंगी।