मंगलवार-बुधवार की दरमियानी रात भारत ने एक बार फिर दुनिया को यह जता दिया कि जब बात राष्ट्रीय सुरक्षा की हो, तो वह न तो चुप बैठता है और न ही सीमाओं तक सिमटता है। “ऑपरेशन सिंदूर 2025” के तहत भारतीय सशस्त्र बलों ने पाकिस्तान और पीओके में फैले नौ आतंकी शिविरों को निशाना बनाकर नष्ट किया। यह महज़ एक जवाबी हमला नहीं था, बल्कि रणनीतिक संदेशों से भरी हुई कार्रवाई थी। यह कार्रवाई 2016 के सर्जिकल स्ट्राइक और 2019 के बालाकोट एयरस्ट्राइक से आगे निकलती दिखाई देती है।

संकेत 1: यह सिर्फ पहलगाम का बदला नहीं, दो दशकों की पीड़ा का उत्तर है

पहलगाम में श्रद्धालुओं पर हुआ आतंकी हमला इस ऑपरेशन का तात्कालिक कारण जरूर बना, लेकिन भारत ने स्पष्ट कर दिया कि यह कार्रवाई केवल एक घटना का जवाब नहीं थी। बुधवार को प्रेस ब्रीफिंग में इसे 2001 की संसद हमले से लेकर 26/11 के मुंबई हमलों तक, आतंकवाद के पूरे इतिहास की प्रतिक्रिया के रूप में प्रस्तुत किया गया।

भारत ने एक स्पष्ट संकेत दिया कि अब वह केवल घटना-दर-घटना नहीं, बल्कि पूरी ‘आतंकी प्रणाली’ को जवाब देगा। जैश-ए-मोहम्मद, लश्कर-ए-तैयबा और हिजबुल मुजाहिदीन जैसे संगठनों पर कार्रवाई करते हुए भारत ने एक स्पष्ट पैटर्न को निशाना बनाया—वह नेटवर्क जो दशकों से भारत में खून बहा रहा है और जिसे पाकिस्तान की सरकार ने या तो पनाह दी या नजरअंदाज किया।

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भारत ने साजिद मीर का उदाहरण देते हुए यह दिखाया कि पाकिस्तान की सरकार तब तक कार्रवाई नहीं करती जब तक अंतरराष्ट्रीय दबाव न हो। पाकिस्तान ने जिस आतंकी को पहले मृत घोषित किया, उसे बाद में FATF की सिफारिशों के दबाव में 2022 में गिरफ्तार करना पड़ा।

FATF के दबाव और भारत की कूटनीतिक रणनीति ने इन आतंकी संगठनों को नए नामों जैसे द रेजिस्टेंस फ्रंट (TRF) और पीपुल्स एंटी-फासीस्ट फोर्स (PAFF) के तहत छिपने को मजबूर किया, ताकि आतंकवाद को “कश्मीरी प्रतिरोध” के रूप में दिखाया जा सके। लेकिन ऑपरेशन सिंदूर ने इन छद्म संगठनों की भी पोल खोल दी।

संकेत 2: सैन्य कार्रवाई से परहेज नहीं, लेकिन युद्ध नहीं चाहिए

भारत ने अपनी कार्रवाई की रणनीति बेहद संतुलित रखी है—उकसावे का जवाब दिया, लेकिन युद्ध की स्थिति नहीं बनाई। भारत ने जानबूझकर पाकिस्तानी सैन्य ठिकानों को निशाना नहीं बनाया, सिर्फ आतंकी ढांचे को लक्ष्य बनाया। यह वही नीति है जो 2016 और 2019 की कार्रवाइयों में अपनाई गई थी।

2016 में भारत ने नियंत्रण रेखा के पार आतंकी शिविरों पर सर्जिकल स्ट्राइक की थी, 2019 में बालाकोट के आतंकी कैंप को एयरस्ट्राइक से निशाना बनाया गया था। लेकिन 2025 की कार्रवाई में भारत ने पहली बार नियंत्रण रेखा के पार के साथ-साथ अंतरराष्ट्रीय सीमा के पार पाकिस्तान के अंदर गहरे लक्ष्यों को निशाना बनाया।

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इस बार जैश का मरकज सुभान अल्लाह (बहावलपुर), लश्कर का मरकज तैयबा (मुरीदके) और हिजबुल का महमूना जोया (सियालकोट) जैसे प्रमुख ठिकाने हमले का निशाना बने। ये वही स्थान हैं जो वर्षों से इन संगठनों की आतंकी गतिविधियों का केंद्र रहे हैं।

रक्षा मंत्रालय की प्रेस विज्ञप्ति में भी यह बात दोहराई गई कि “किसी भी पाकिस्तानी सैन्य सुविधा को निशाना नहीं बनाया गया है”। इसका उद्देश्य साफ है—भारत आतंकवाद और पारंपरिक युद्ध को अलग रखकर, संघर्ष को नियंत्रित दायरे में रखना चाहता है।

संकेत 3: भारत अब धमकियों से डरता नहीं, बल्कि दिशा तय करता है

ऑपरेशन सिंदूर के ज़रिए भारत ने न केवल आतंकियों को जवाब दिया, बल्कि पाकिस्तान को कूटनीतिक और सामरिक स्तर पर भी चेतावनी दी। पाकिस्तान द्वारा 23 अप्रैल से 6 मई तक भारत को दी गई धमकियों को अब एक खोखली रणनीति के रूप में देखा जा रहा है। भारत की कार्रवाई ने पाकिस्तान की ‘डिटरेंस कैपेसिटी’ यानी निरोधक क्षमता को न केवल चुनौती दी, बल्कि लगभग खत्म कर दिया।

सरकार ने ऑपरेशन सिंदूर को “केंद्रित, मापा हुआ और गैर-बढ़ाने वाला” करार दिया है। इसका सीधा संदेश यह है कि भारत पूर्ण युद्ध नहीं चाहता, लेकिन अपनी आत्मरक्षा में वह अब और संयम नहीं दिखाएगा।

अब गेंद पाकिस्तान के पाले में है। अगर इस्लामाबाद इस कार्रवाई को उकसावे की तरह लेता है और जवाब देने की कोशिश करता है, तो भारत के पास भी उसकी सेना के ठिकानों को निशाना बनाने का नैतिक और सामरिक आधार मौजूद रहेगा।

ऑपरेशन सिंदूर भारत की सैन्य शक्ति का प्रदर्शन मात्र नहीं, बल्कि उसके रणनीतिक धैर्य, कूटनीतिक स्पष्टता और सुरक्षा नीति में आए नए आत्मविश्वास का प्रतीक है। भारत ने यह संदेश दिया है कि वह अब आतंक के हर स्वरूप को पहचानता है—चाहे वह छद्म नामों से हो, सीमा पार से हो या अंतरराष्ट्रीय स्तर पर।

आगे आने वाले समय में भारत को यह सुनिश्चित करना होगा कि यह कार्रवाई एक सतत रणनीति का हिस्सा बने, न कि केवल एक जवाबी कदम। सुरक्षा एजेंसियों को आतंरिक सुरक्षा की दिशा में भी सतर्क रहना होगा, क्योंकि अब प्रतिक्रियाएं सिर्फ सीमा पर नहीं, देश के भीतर भी देखने को मिल सकती हैं।

भारत ने आज यह साबित कर दिया है कि वह जवाब देगा- सिर्फ गोली से नहीं, नीति, धैर्य और रणनीति से भी। ऑपरेशन सिंदूर केवल एक ऑपरेशन नहीं, भारत की सुरक्षा नीति में एक निर्णायक मोड़ है।