भारत-पाकिस्तान के बीच हालिया संघर्ष पर पूर्व डीजीएमओ अनिल कुमार भट्ट ने बड़ा बयान दिया है। उन्होंने कहा है कि भारतीय सेना द्वारा किए गए ऑपरेशन सिंदूर का उद्देश्य पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर को वापस लेना नहीं था और न ही पाकिस्तान से युद्ध करना था। उनका ये बयान काफी अहम माना जा रहा है क्योंकि अनिल भट्ट ने चीन के सीमा पर कुछ साल पहले हुए डोकलाम विवाद के दौरान भारतीय सेना का नेतृत्व किया था। ऐसे में कई महत्वपूर्ण जिम्मेदारियों पर रह चुके भट्ट की बातें सरकार और सेना की कहानी को सामने रख रही हैं।
गुरुवार को पीटीआई को दिए इंटरव्यू में रिटायर्ड लेफ्टिनेंट जनरल अनिल कुमार भट्ट ने सोशल मीडिया पर चल रही उस बहस पर नाराजगी व्यक्त की, जिसमें लोग भारत-पाकिस्तान के बीच युद्ध की बात कर रहे थे। दरअसल संघर्ष विराम के बाद सोशल मीडिया पर यूजर्स सरकार के इस फैसले से खुश नहीं थे। यूजर्स का कहना था कि यह पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर को पुनः लेने का ये सबसे बेहतर मौका था। इस संघर्ष में भारतीय सेना मजबूत स्थिति में पाकिस्तान पर शिकंजा कस रही थी।
भविष्य में होने वाली है ड्रोन की बड़ी भूमिका
सोशल मीडिया की बहस पर पूर्व डीजीएमओ ने कहा कि युद्ध किसी भी लड़ाई का अंतिम विकल्प होना चाहिए और इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि युद्ध न ही हो तो बेहतर है। क्योंकि भारत ने अपनी रणनीति के अनुसार लक्ष्य हासिल कर लिया है। भारत का टारगेट पाकिस्तान में रह रहे आतंकियों को तहस नहस करना था, जो काम भारतीय सेना ने बखूबी किया।
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पूर्व डीजीएमओ ने साथ ही साथ साइबरस्पेस, ड्रोन और अंतरिक्ष को लेकर भी बातें की। इस दौरान उन्होंने कहा कि आज के दौर में होने वाले युद्ध को लेकर ऑपरेशन सिंदूर ने ड्रोन के महत्व को स्पष्ट रूप से सामने लाया है। अंतरिक्ष और साइबरस्पेस के साथ-साथ भविष्य के सैन्य संघर्षों को लेकर ड्रोन नई कहानी लिखेंगा।
आपकी जानकारी के लिए बता दें कि बीते माह 22 अप्रैल को कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद भारत और पाकिस्तान के बीच माहौल काफी तनावपूर्ण रहा। 6 और 7 मई की रात भारतीय वायु सेना ने पाकिस्तान स्थित 9 आतंकी ठिकानों पर एयर स्ट्राइक की। जिसके बाद दोनों तरफ से गोलीबारी और ड्रोन अटैक होने शुरू हुए। हालांकि 10 मई को दोनों देशों के बीच सीजफायर का ऐलान हो गया।