ऑपरेशन सिंदूर के दौरान पाकिस्तान ने भारत के खिलाफ ड्रोंस का इस्तेमाल किया था। भारत के एयर डिफेंस सिस्टम ने कमाल किया था लेकिन भारतीय सेना अब उसे और अधिक एडवांस बनाने की तैयारी कर रही है। द इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार सेना जिन नए रडार सिस्टम को खरीदने की योजना बना रही है, उन्हें लो रडार क्रॉस-सेक्शन (RCS) वाली हवाई वस्तुओं का पता लगाने, ट्रैक करने और उन पर हमला करने के लिए डिज़ाइन किया गया है। इससे उन्हें पहचानना मुश्किल हो जाता है। सूत्रों के अनुसार इन प्रणालियों को सेना के आकाशतीर एयर डिफेंस नेटवर्क में इंटीग्रेटेड किया जाएगा। इससे युद्धक्षेत्र कमांडरों को आकाश में तेज नजर रखने और दुश्मनों के ड्रोन और अन्य हवाई खतरों के खिलाफ तेज प्रतिक्रिया देने में मदद मिलेगी।
सेना कौन से ड्रोन खरीद रही?
दो अलग-अलग सूचना अनुरोध (Request for Information- RFI) – संभावित आपूर्तिकर्ताओं से जानकारी इकठ्ठा करने की औपचारिक प्रक्रिया में सेना ने 45 निम्न स्तरीय हल्के वजन वाले रडार (Enhanced) (LLLR-E) और 48 एयर डिफेंस फायर कंट्रोल रडार-ड्रोन डिटेक्टर (ADFCR-DD) खरीदने की मांग की है। एक अलग प्रस्ताव अनुरोध (RFI) में सेना ने 10 निम्न स्तरीय हल्के वजन वाले रडार (Improved) (LLLR-I) की भी मांग की है, जो एक निगरानी प्रणाली है, जो हवाई क्षेत्र को स्कैन करने, लक्ष्यों का पता लगाने, उन पर नज़र रखने और खतरे के आधार पर उन्हें प्राथमिकता देने के लिए डिज़ाइन की गई है।
LLLR-I एक थ्री डायमेंशनल (3D) एक्टिव इलेक्ट्रॉनिकली स्कैन्ड ऐरे (AESA) रडार होगा जिसमें कमांडर डिस्प्ले यूनिट, टारगेट डेज़िग्नेशन सिस्टम और इंटीग्रल पावर सप्लाई होगी। इसे पहाड़ों और ऊंचाई वाले इलाकों से लेकर रेगिस्तानों और तटों तक, सभी इलाकों में काम करना होगा और 50 किलोमीटर की सीमा में सभी हवाई लक्ष्यों का पता लगाने में सक्षम होना होगा। साथ ही एक साथ 100 से ज़्यादा लक्ष्यों पर नजर रखनी होगी।
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LLLR-E में भी ऐसी ही विशेषताएं हैं, लेकिन इसमें एक इलेक्ट्रो-ऑप्टिकल ट्रैकिंग सिस्टम (EOTS) और एक निष्क्रिय रेडियो-फ़्रीक्वेंसी डिटेक्शन सिस्टम भी है। ईओटीएस दिन और रात दोनों समय स्वतंत्र रूप से या रडार द्वारा निर्देशित ट्रैकिंग की अनुमति देगा।
ADFCR-DD इस बीच एक सर्च रडार, ट्रैक रडार, अग्नि नियंत्रण प्रणाली और मित्र-या-शत्रु (IFF) पहचान क्षमता को एक साथ एक ही वाहन पर स्थापित करेगा। यह कम से कम दो L/70 या उत्तराधिकारी एयर डिफेंस की फायरिंग को नियंत्रित करेगा।
सेना ने क्या कहा?
सेना की आरएफआई में कहा गया है कि ऑपरेशन सिंदूर के दौरान पाकिस्तान ने निगरानी और नागरिक व रक्षा प्रतिष्ठानों, दोनों को नुकसान पहुंचाने के प्रयासों के लिए ड्रोन पर बहुत अधिक भरोसा किया। L/70, ZU 28 और शिल्का जैसी मौजूदा एयर डिफेंस गन्स ने इन खतरों के खिलाफ असाधारण रूप से अच्छा प्रदर्शन किया, लेकिन सेना का कहना है कि इन्हें आधुनिक अग्नि नियंत्रण रडारों के साथ जोड़ने से (जो सबसे छोटे निगरानी और हमलावर ड्रोनों को भी निशाना बनाने के लिए हथियार प्रणालियों का पता लगाने, पहचानने और नियंत्रित करने में सक्षम हैं) ऐसे खतरों को बेअसर करना कहीं अधिक प्रभावी हो जाएगा।