जम्मू कश्मीर में सेना और पुलिस ने ऑपरेशन महादेव को अंजाम दिया। इस ऑपरेशन में पहलगाम हमले की गुनाहगार तीन आतंकी ढेर किए गए। शनिवार को पहलगाम हमलावरों द्वारा इस्तेमाल किए गए एक चीनी सैटेलाइट फोन से निकले सिग्नल का पता चलने के बाद सेना ने ऑपरेशन शुरू किया। पिछले 17 दिनों में दूसरी बार सेना और जम्मू-कश्मीर पुलिस श्रीनगर शहर के बाहरी इलाके में दाचीगाम के जंगलों में ज़बरवान रेंज में रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण महादेव पीक के लिडवास मैदान के पास मुलनार पीक पर पहुंची।
सैटेलाइट फोन हुआ बरामद
मारे गए आतंकवादियों से बाद में ज़ब्त किए गए हथियारों, गोला-बारूद और विस्फोटकों सहित विभिन्न वस्तुओं में सैटेलाइट फोन भी शामिल था। गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि ये वही आतंकवादी हैं जिन्होंने 22 अप्रैल को 26 नागरिकों की हत्या की थी। सूत्रों के अनुसार हमलावरों ने 11 जुलाई को बैसरन इलाके में भी सैटेलाइट फोन का इस्तेमाल किया था। तब से सेना और पुलिस की कई टीमें रात में भी उनकी तलाश कर रही थीं, जिससे वो बार-बार अपने ठिकाने बदल रहे थे।
जंगलों में थे आतंकी
शनिवार को जब सुरक्षा बलों और पुलिस को महादेव पीक क्षेत्र से सैटेलाइट फोन सिग्नल का पता चला, तो उन्होंने तुरंत एक अभियान शुरू किया जिसे बाद में सुरक्षा एजेंसियों ने ऑपरेशन महादेव नाम दिया। सिग्नल को दाचीगाम क्षेत्र में ट्रैक किया गया, जहां सबसे नज़दीकी मानव बस्ती लगभग 30 किलोमीटर दूर चक दारा में है। अनंतनाग जिले में बैसरन और श्रीनगर में दाचीगाम के जंगल सड़क मार्ग से लगभग 120 किलोमीटर दूर हैं, लेकिन जंगल से होकर उनकी दूरी लगभग 40-50 किलोमीटर है, जिसके बीच में अरु वाइल्डलाइफ सेंचुरी पड़ती है।
तंबू के नीचे आराम कर रहे थे आतंकवादी
सूत्रों ने बताया कि स्थानीय खानाबदोशों द्वारा इलाके के बारे में दी गई जानकारी के आधार पर सुरक्षा बलों और पुलिस ने एक सावधानीपूर्वक योजनाबद्ध और अभियान में, सोमवार सुबह लगभग 11.30 बजे एक अस्थायी तंबू के नीचे आराम कर रहे आतंकवादियों को पकड़ लिया।
इसके बाद हुई भीषण गोलीबारी लगभग तीन घंटे तक चली। सेना और पुलिस तीनों आतंकवादियों को मार गिराने में कामयाब रही। लश्कर-ए-तैयबा का शीर्ष कमांडर सुलेमान शाह (जिसने लश्कर के मुरीदकी आतंकी मुख्यालय में ट्रेनिंग ली थी), हमज़ा अफ़ग़ानी और जिबरान, जो तीनों पाकिस्तानी नागरिक हैं, उन्हें ढेर कर दिया गया। सूत्रों के अनुसार जिब्रान पिछले साल अक्टूबर में गंदेरबल ज़िले में श्रीनगर-लेह राष्ट्रीय राजमार्ग पर गगनेर में ज़ेड-मोड़ सुरंग के निर्माण कार्य में लगे छह लोगों की हत्या में भी शामिल था।
अधिकारियों ने आतंकियों की पहचान की पुष्टि करने में समय लिया। इसके लिए उन्होंने 22 अप्रैल को पहलगाम की बैसरन घाटी में मारे गए लोगों के परिवारों के साथ-साथ जेल में बंद दो स्थानीय लोगों (परवेज अहमद जोथर और बशीर अहमद जोथर) से भी पूछताछ की, जिन्होंने कथित तौर पर हिल पार्क इलाके में अपने मौसमी ढोक में आतंकवादियों को पनाह दी थी।
कैसे हुई आतंकियों की पहचान?
अमित शाह ने लोकसभा में यह भी बताया कि उनकी पहचान कैसे पुष्ट हुई। उन्होंने कहा, “कल के ऑपरेशन में हमारे नागरिकों की हत्या करने वाले तीन लोग मारे गए। एनआईए ने इन आतंकवादियों की मदद करने वालों को हिरासत में रखा था, और उन्होंने पुष्टि की कि पहलगाम में आतंकी हमला इन्हीं तीनों ने किया था। हमें भी इस पर विश्वास नहीं हुआ। हमले वाली जगह से बरामद कारतूसों का विश्लेषण किया गया और एक बैलिस्टिक रिपोर्ट तैयार की गई। कल तीन राइफलें बरामद की गईं जिसमें एक M9 अमेरिकी राइफल और दो एके-47 शामिल है। इन राइफलों को चंडीगढ़ भेजा गया और कारतूसों का मिलान किया गया। फिर यह तय हो गया कि इन तीनों राइफलों का इस्तेमाल हमारे लोगों की हत्या के लिए किया गया था।”