हिमाचल प्रदेश में सुखविंदर सिंह सुक्खू सरकार के एक साल पूरे हो गए हैं। इस दौरान प्राकृतिक आपदाओं का प्रकोप भी रहा, फिर भी जनता की उम्मीदें सरकार से अपनी जगह कायम रहीं। विपक्ष का हमलावर रुख जारी है और प्रदेश में जो भी बदलाव के लिए किए गए हैं, वे नाकाफी हैं। प्रदेश की सुखविंदर सिंह सुक्खू सरकार का एक साल पूरा हो गया।
जिला कांगड़ा को साधने के लिए धर्मशाला में जश्न भी हो गया। व्यवस्था परिवर्तन के नारे के साथ एक साल पहले सुखविंदर सिंह सुक्खू की सरकार ने सत्ता संभाली थी। एक साल बाद भी यह सरकार का यह राग बंद नहीं हुआ कि उन्हें जय राम ठाकुर की भाजपा सरकार ने 80 हजार करोड़ का कर्जा व देनदारियां छोड़ी हैं। यह बात अलग है कि जैसे जय राम ठाकुर की भाजपा सरकार को अपने कार्यकाल के पांच सालों में दो साल तक कोरोना जैसी महामारी से दो चार होना पड़ा था वैसे ही प्रदेश की सुक्खू सरकार को भी प्रदेश में अब तक के सबसे बड़ी प्राकृतिक आपदा के साथ दो चार होना पड़ा है।
आपदा से आए जख्म अभी ताजे ही हैं जिन्हें भरने में सालों लग जाएंगे। जून से लेकर सितंबर की शुरुआत तक सरकार अब तक की सबसे भयंकर मानी जाने वाली आपदा से जूझती रही, इसी बीच केंद्र को भी बार बार निशाना बनाया गया कि आपदा में जो मदद केंद्र से मिलनी चाहिए थी वह नहीं मिली। अपने ही स्तर पर 4500 करोड़ के राहत पैकेज दिए जाने की बात भी की गई। केंद्र सरकार व प्रदेश की भाजपा ने कई बार आंकड़े देकर बताया कि केंद्र सरकार ने इस आपदा की घड़ी में प्रदेश की खुल कर मदद की है। आरोपों प्रत्यारोपों का यह क्रम अभी तक जारी है।
प्रदेश में वीआइपी संस्कृति में कोई परिवर्तन नहीं हुआ है। सरकारी कार्यालयों में पहले की ही तरह सब राम भरोसे चल रहा है। अफसरशाही पर कोई अंकुश नजर नहीं आया। भाजपा सरकार में लगे अफसर उसी जगह पर अभी तक टिके हुए हैं। कर्मचारियों का दबाव पड़ा तो ओपीएस की बहाली हो गई मगर बिजली बोर्ड समेत अन्य कई निगम बोर्डों के हजारों कर्मचारी अभी इंतजार में हैं। कई वर्ग सरकार को अपने वादों की याद दिला रहे हैं।
सरकार ने साफ कह दिया है कि यह गारंटियां पांच साल में पूरी करनी हैं, एक साल में नहीं। सरकार ने स्टार्टअप योजना, गोबर खरीद व आदर्श स्कूलों के वादे पूरे कर देने का भी दावा किया है मगर धरातल पर अभी ऐसा कुछ नजर नहीं आया। पांच साल में पांच लाख युवाओं को रोजगार देने की दिशा में अभी गाड़ी बहुत पीछे है।
किसी भी सरकार के कामकाज के आकलन के लिए एक साल का समय कम हो सकता है मगर अब अप्रैल मई में होने वाले लोकसभा के चुनाव सरकार के काम काज पर यदि मुहर लगाएंगे तो यह जनता का सही प्रमाणपत्र होगा। यही कारण है कि हनीमून मोड से बाहर आकर अब सरकार को व्यवस्था परिवर्तन के नाम पर कुछ धरातल पर कर दिखाना होगा।
सरकार ने एक साल का जश्न मनाया तो भाजपा ने हर जिले में विरोध रैली करके ताकत दिखा दी। मंडी में जुटी भीड़ कांग्रेस के लिए चौंकाने वाली हो सकती है। साफ हो गया कि भाजपा चुनावी मोड में आ चुकी है जबकि कांग्रेस धर्मशाला की रैली के जरिए अभी वार्म अप की स्थिति में है। देखना होगा कि चुनावी जंग जो अब दूर नहीं है, के लिए कांग्रेस अपने को कितनी एकजुटता दिखा कर भाजपा से टक्कर के लिए तैयार कर पाती है।
पूर्व मुख्यमंत्री जय राम ठाकुर ने तो मंडी की विरोध रैली में यहां तक कह दिया कि 12 महीने में सुक्खू सरकार ने 12 हजार करोड़ का कर्जा ले लिया जो अपने आप में एक रेकार्ड है। एक साल से मुख्यमंत्री व उनकी सरकार के मंत्री कर्जें को लेकर पूर्व भाजपा सरकार को ही कोसते आ रहे हैं मगर इसे कम करने की कोई परिवर्तनकारी व चमत्कारिक कोशिश कांग्रेस सरकार से भी नहीं हो पाई।
