देश में एक देश एक चुनाव को लेकर लंबे समय से चर्चा चल रही है। उस चर्चा ने बल इसलिए भी पकड़ा है क्योंकि एक कमेटी का गठन किया जा चुका है जो तमाम पहलुओं पर मंथन कर रही है। उसी कमेटी ने पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को भी एक चिट्ठी के जरिए एक देश एक चुनाव के फायदे बताए थे। अब ममता की तरफ से उस चिट्ठी का जवाब दिया गया है।

ममता बनर्जी ने अपनी चिट्ठी में कुल तीन प्वाइंट्स का जिक्र किया है और उसी आधार पर एक देश एक चुनाव का विरोध किया गया है। ममता ने ये पांच तर्क दिए हैं-

  • – तर्क नंबर 1 संविधान बनाने वालों ने कभी भी एक देश एक चुनाव का जिक्र नहीं किया। वैसे भी इस देश में संघीय ढांचा चलता है जहां पर केंद्र में सरकार होती है और राज्य में अलग-अलग स्टेट सरकार रहती हैं। ऐसे में ये एक देश एक चुनाव कैसे चल सकता है।
  • – तर्क नंबर 2- विधानसभा और लोकसभा के चुनाव साथ कैसे हो पाएंगे, सभी राज्यों में अलग-अलग समय पर सरकारें बनी हैं, ऐसे में किस तरह से तालमेल बैठाया जाएगा। किसी भी राज्य को जल्द चुनाव करवाने के लिए बाध्य नहीं किया जा सकता।
  • – तर्क नंबर 3- कमेटी द्वारा दिखाया जा रहा है कि कोई बड़ा रीफॉर्म किया जा रहा है। उन रिपोर्ट्स का हवाला दिया जा रहा है जिन्होंने इस प्रस्ताव का समर्थन किया है। लेकिन कई रिपोर्ट्स ऐसी भी हैं जिन्होंने इस प्रक्रिया को सही नहीं माना है। उन्हें नजरअंदाज करना गलत रहेगा।

जानकारी के लिए बता दें कि एक देश एक चुनाव के लिए चुनाव आयोग को बड़ी तैयारी करनी होगी। देश में लोकसभा की 543 सीटें हैं। सभी पर एक साथ चुनाव होते हैं। इसके अलावा सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों की 4126 सीटों पर चुनाव कराने होंगे। समस्या यह है कि कई राज्यों में कुछ समय पहले ही विधानसभा गठित हुई है। कई में अगले साल चुनाव होने हैं। ऐसे में कुछ विधानसभाओं का कार्यकाल समय से पहले खत्म करना पड़ सकता है तो कुछ का कार्यकाल आगे बढ़ाना होगा। चुनाव आयोग के मुताबिक 2019 के लोकसभा चुनाव में कुल 91 करोड़ मतदाता थे। इस बार इनकी संख्या बढ़कर 101 करोड़ हो सकती है। इसने वोटरों के लिए इंतजाम करना बड़ी चुनौती होगी।