देश में लोकसभा और राज्य विधानसभाओं के लिए एक साथ चुनाव कराने के भाजपा के ‘एक राष्ट्र, एक चुनाव’ के विचार पर इन दिनों राजनीतिक बहस छिड़ी हुई है। इस बीच मुख्य चुनाव आयुक्त राजीव कुमार ने कहा कि पैनल कानूनी प्रावधानों के अनुसार चुनाव कराने के लिए तैयार है।
CEC बुधवार को मध्य प्रदेश में आगामी विधानसभा चुनावों की तैयारियों पर भोपाल में संवाददाताओं को जानकारी दे रहे थे। इस दौरान उन्होंने कहा, “हमारा काम समय से पहले चुनाव कराना है। वह समय संविधान और जन प्रतिनिधित्व अधिनियम में निर्धारित किया गया है।
हमारा काम समय से पहले चुनाव कराना- CEC
राजीव कुमार ने आगे कहा, “हमारा कर्तव्य संवैधानिक प्रावधानों और RP अधिनियम के अनुसार समय से पहले चुनाव कराना है। आर्टिकल 83 (2) कहता है कि संसद का कार्यकाल 5 साल का होगा। इसके अनुरूप आरपी अधिनियम की धारा 14 कहती है कि 6 महीने पहले हम चुनाव की घोषणा कर सकते हैं। ऐसी ही स्थिति राज्य विधानसभाओं के लिए भी है।
मुख्य चुनाव आयुक्त ने कहा कि कानूनी प्रावधानों के अनुसार, हम चुनाव कराने के लिए हमेशा तैयार हैं। उन्होंने कहा कि आरपी अधिनियम के प्रावधानों के तहत, सरकार के 5 साल के कार्यकाल समाप्त होने से 6 महीने पहले चुनावों की घोषणा की जा सकती है और राज्य विधानसभाओं के लिए भी ऐसी ही स्थिति है।
एक देश, एक चुनाव के लिए 8 सदस्यीय कमेटी गठित
पिछले हफ्ते केंद्र ने राष्ट्रीय हित का हवाला देते हुए लोकसभा, राज्य विधानसभाओं, नगर पालिकाओं और पंचायतों के लिए एक साथ चुनाव कराने के लिए जांच करने और सिफारिशें करने के लिए आठ सदस्यीय उच्च स्तरीय समिति का गठन किया। चुनाव में अधिक पारदर्शिता की मांग पर मुख्य चुनाव आयुक्त ने कहा कि राज्य के 64,523 मतदान केंद्रों में से 50 फीसदी पर वेबकास्टिंग की जाएगी। इनमें से 5,000 मतदान केंद्रों का प्रबंधन महिलाओं द्वारा, 1150 का प्रबंधन युवा मतदाताओं द्वारा और 200 का प्रबंधन PwD द्वारा किया जाएगा।
राजीव कुमार ने कहा, “आयोग कम मतदान वाले निर्वाचन क्षेत्रों में विशेष अभियान चलाएगा। अब तक, चुनाव आयोग ने 30 जिलों में 95 विधानसभा क्षेत्रों की पहचान की है, जहां राज्य के औसत 75.63 प्रतिशत से कम मतदान हुआ है। हमने राज्य प्रवर्तन एजेंसियों के साथ बैठकें की हैं और दिशा बहुत स्पष्ट है, हम मुफ्त वस्तुएं बांटने की अनुमति नहीं देंगे। हम प्रलोभन मुक्त, अहिंसक और पारदर्शी चुनाव चाहते हैं।”