One Nation One Election Bill: एक देश एक चुनाव को लेकर लोकसभा ने आज स्वीकार कर लिया है, इसे विस्तृत चर्चा के लिए जॉइंट पार्लियामेंट्री कमेटी के पास भी भेज दिया गया है। लेकिन इस बार इस बिल का कानून बनना उतना आसान नहीं होने वाला है। यह नहीं भूलना चाहिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के पास अपने तीसरे कार्यकाल में पूर्ण बहुमत नहीं है।

मैजिक नंबर क्या है?

जानकारी के लिए बता दें कि लोकसभा में अभी 543 सांसद है, ऐसे में एनडीए को बिल पारित करवाने के लिए 362 वोट चाहिए। अभी लोकसभा में एनडीए के पास सिर्फ 292 सांसद हैं, ऐसे में बहुमत पूर्ण करने के लिए विपक्षी सांसदों की मदद चाहिए होगी। इसी तरह राज्यसभा में इस बिल को पारित करवाने केलिए 164 वोट चाहिए। एनडीए के पास आंकड़ा बैठता है 112 का, 6 मनोनीत सांसद भी उसके साथ हैं। ऐसे में यहां भी दूसरी पार्टियों का समर्थन चाहिए होगा।

‘वन नेशन वन इलेक्शन’ के तहत कब-कब चुनाव?

विपक्ष की स्थिति की बात करें तो लोकसभा में उसके पास 205 वोट हैं तो वहीं राज्यसभा में 85 सांसद मौजूद हैं। ऐसे में अगर एक देश एक चुनाव को सच्चाई बनना है, विपक्षी वोट को भी अपने पाले में करने की जरूरत पड़ेगी जो आसान नहीं रहने वाला।

वन नेशन वन इलेक्शन की कैसे शुरू हुई कवायद?

मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, वन नेशन वन इलेक्शन बिल की कवायद कोई आज या कल की बात नहीं है बल्कि 2014 में जब नरेंद्र मोदी ने देश के प्रधानमंत्री के तौर पर पहली बार पद ग्रहण किया था तो उसी वक्त से ही वन नेशन-वन इलेक्शन पर उन्होंने चर्चा की शुरुआत कर दी थी। पीएम मोदी ने इसे देश की जरूरत बताया था। उन्होंने तर्क दिया था कि बार-बार देश में इलेक्शन होने से देश के विकास पर गहरा असर पड़ता है। साल 2015 में लॉ कमीशन ने भी सुझाव दिया था कि वन नेशन वन इलेक्शन से काफी पैसों की बचत हो सकती है। पूरी क्रोनोलॉजी जानने के लिए यहां क्लिक करें