एक देश एक चुनाव को लेकर चर्चा तेज हो गई है, पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद की अध्यक्षता में एक कमेटी का गठन भी कर दिया गया है। उस कमेटी में कांग्रेस नेता अधीर रंजन चौधरी को भी जगह दी गई थी, लेकिन शनिवार को गृह मंत्री अमित शाह को पत्र लिख उन्होंने अपना नाम वापस ले लिया। अब सरकार के सूत्रों की तरफ से बताया जा रहा है कि अधीर रंजन ने पहले खुद ही कमेटी का हिस्सा बनने पर अपनी हामी दे दी थी। ऐसे में सवाल उठता है कि ये यू टर्न क्यों लिया गया?
सरकार का क्या तर्क, कितना सच?
असल में सरकार का कहना है कि अधीर रंजन चौधरी को जब कमेटी का हिस्सा बनाने की बात हुई थी, तब उनसे मंजूरी ली गई थी। जब उनकी तरफ से हां बोल दिया गया उसके बाद ही लिस्ट को सार्वजनिक किया गया। अब इ दावों पर कांग्रेस नेता अपनी तरफ से कोई प्रतिक्रिया नहीं दी है। उनकी तरफ से अभी तक किसी भी तरह की सफाई पेश नहीं की गई है।
जानकारी के लिए बता दें कि शनिवार को अधीर रंजन चौधरी की तरफ से गृह मंत्री अमित शाह को पत्र लिखा गया था। उस पत्र के जरिए उन्होंने एक देश एक चुनाव वाली कमेटी से अपना नाम वापस ले लिया था। उनकी तरफ से कहा गया था कि उन्हें ये सब एक बड़ा झूठ और धोखा लग रहा है। उन्होंने इस बात पर भी जोर दिया था कि कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे को उस लिस्ट में शामिल ना करना उनका अपमान है।
संसद का विशेष सत्र निर्णायक
वैसे एक देश एक चुनाव को लेकर जो चर्चा शुरू हुई है, उसमें केंद्र सरकार इस समय सबसे ज्यादा दिलचस्पी दिखा रही है। 18 से 22 सितंबर को जो विशेष सत्र बुलाया गया है, उसमें इसे लेकर एक बिल भी पेश किया जा सकता है। आधिकारिक घोषणा नहीं की गई है, लेकिन माना जा रहा है कि चुनावी मौसम में सरकार ये बड़ा कदम उठा सकती है।