भारत और चीन के बीच पिछले करीब 3 महीने से ज्यादा समय से लद्दाख पर स्थित एलएसी को लेकर तनाव की स्थिति है। जून में ही दोनों देशों की सेनाओं के बीच गलवान घाटी में खूनी झड़प भी हो चुकी है। ऐसे में अब केंद्र सरकार चीनी सीमा के नजदीक मौजूद गांवों को सेकंड लाइन ऑफ डिफेंस के तौर पर तैयार करने की योजना बना रही है। इसके लिए इन जगहों पर पर्यटन क्षेत्र में छूट दिए जाने पर विचार किया जा रहा है। सूत्रों के मुताबिक, इस योजना के तहत पहले उत्तराखंड में आने वाले गंगोत्री के कुछ हिस्सों को इनर लाइन परमिट (ILP) सिस्टम से स्वतंत्र किया जाना है।

बता दें कि उत्तराखंड की चीन के साथ करीब 350 किलोमीटर की सीमा लगती है। ज्यादातर सीमांत गांवों से लोग कमाई का जरिया तलाशने निकल जाते हैं। हाल ही में उत्तराखंड के मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने इंडो-तिब्बत बॉर्डर पुलिस (आईटीबीपी) के प्रमुख एस देसवाल के साथ बैठक की थी। इसमें देसवाल ने सीमांत गांवों से लोगों के बाहर जाने का मुद्दा उठाते हुए इन जगहों पर सड़क, नेटवर्क और मोबाइल कनेक्टिविटी जैसी व्यवस्थाओं को बेहतर करने का सुझाव दिया था, ताकि क्षेत्र में पर्यटन को बढ़ावा दिया जा सके।

इस मीटिंग के बाद उत्तराखंड सरकार ने सीमा से सटे इलाकों में जरूरी इन्फ्रास्ट्रक्चर सुधारने और पर्यटन को बढ़ावा देने जैसे जरूरी ऐलान किए। बुधवार सुबह ही केंद्रीय पर्यटन मंत्री प्रहलाद पटेल और उत्तराखंड के पर्यटन मंत्री सतपाल महाराज ने भी इस मामले पर चर्चा की। बताया गया है कि केंद्र ने इस मामले में राज्य के ऐक्शन प्लान से सहमति जताई है। इस मामले में जल्द ही गृह मंत्रालय की तरफ से आधिकारिक आदेश भी जारी हो सकता है।

केंद्रीय पर्यटन मंत्री से मुलाकात के बाद सतपाल महाराज ने ‘द इंडियन एक्सप्रेस’ से कहा, “हम अपने सीमा से लगे गांवों को सुरक्षित रखनना चाहते हैं और इसलिए हमने जनजातीय पर्यटन को बढ़ावा देने का कॉन्सेप्ट बढ़ाया है। उदाहरण के तौर पर हम नीति घाटी के इलाके में सर्दियों के दौरान स्कीईंग को बढ़ावा दे सकते हैं। इससे हमारे सीमा से लगे गांवों की सुरक्षा के साथ निगरानी भी सुनिश्चित होगी। वहीं टुकड़ियों को भी जरूरी सपोर्ट मिल सकेगा।”

मंत्री ने बताया कि पहले चरण में राज्य के गंगोत्री इलाके में आने वाले मुखबा, बघोली और हरसिल को खोल दिया जाएगा, ताकि लोग यहां आकर मजा ले सकें। उन्होंने कहा कि एक बार इनर लाइन परमिट सिस्टम हट गया, तो राज्य पर्यटन विभाग गांव में मौजूद घरों को पर्यटकों के लिए रहने की व्यवस्था लायक विकसित करने के लिए कहेगा, जिससे गांव की अर्थव्यवस्था बेहतर होगी। इसके बाद पिथौरागढ़ में कुती और ब्यास गांव को पर्यटन क्षेत्र बनाने की परमिशन ली जाएगी।