नई दिल्ली। उच्चतम न्यायालय अन्नाद्रमुक प्रमुख जयललिता की जमानत याचिका पर शुक्रवार को सुनवाई करने पर आज सहमत हो गया जो संपत्ति के ज्ञात स्रोतों से अधिक संपत्ति के मामले में चार साल की जेल की सजा काट रही हैं।
वरिष्ठ अधिवक्ता फली एस नरीमन द्वारा मामले को इसी सप्ताह में ‘‘समायोजित’’ किए जाने की अपील करने पर प्रधान न्यायाधीश एच एल दत्तू की अध्यक्षता वाली पीठ ने मामले को 17 अक्तूबर को सुनवाई के लिए निर्धारित कर दिया।
दीवाली से पूर्व जेल से बाहर आने के लिए जयललिता के पास 17 अक्तूबर का दिन अंतिम अवसर होगा क्योंकि शुक्रवार के बाद शीर्ष अदालत में एक सप्ताह का अवकाश रहेगा।
रिश्वत के मामले में दोषी ठहराए जाने और चार साल की सजा दिए जाने के बाद कर्नाटक उच्च न्यायालय ने जयललिता को जमानत प्रदान करने से इंकार कर दिया था और उसके बाद उन्होंने नौ अक्तूबर को उच्चतम न्यायालय में याचिका दाखिल की।
27 सितंबर के बाद से सलाखों के पीछे रह रही अन्नाद्रमुक प्रमुख ने उच्च न्यायालय के आदेश को चुनौती दी है जिसने उनकी जमानत याचिका नामंजूर कर दी।
जयललिता ने खुद के विभिन्न बीमारियों से जूझने और इस मामले में उन्हें केवल चार साल की जेल की सजा सुनाए जाने को तत्काल राहत दिए जाने का आधार बनाया था।
पूर्व मुख्यमंत्री ने जमानत के लिए वरिष्ठ नागरिक तथा महिला होने को भी आधार बनाया था।
उच्च न्यायालय ने विशेष सरकारी वकील द्वारा उन्हें सशर्त जमानत दिए जाने का विरोध नहीं किए जाने के बावजूद सात अक्तूबर को 66 वर्षीय नेता को जमानत से इंकार कर दिया था।
उच्च न्यायालय ने जयललिता की करीबी सहयोगी शशिकला और उनके रिश्तेदार वी एन सुधाकरण (पूर्व मुख्यमंत्री के परित्यक्त दत्तक पुत्र) तथा इलावरासी की जमानत याचिकाओं को भी नामंजूर कर दिया । इन्हें भी 18 साल पुराने मामले में चार साल की जेल की सजा सुनायी गई है ।
विशेष अदालत ने जयललिता और तीन अन्य को भ्रष्टाचार का दोषी ठहराया था। अदालत ने अन्नाद्रमुक प्रमुख पर सौ करोड़ रूपए तथा तीन अन्य दोषियों पर दस-दस करोड़ रूपए का जुर्माना भी लगाया था।