सुप्रीम कोर्ट ने गोरक्षा के नाम पर हिंसा करने वालों के खिलाफ बेहद सख्त रुख अपना लिया है। कोर्ट ने इस मामले पर पूर्व में दिए गए आदेश को अमल में नहीं लाने पर भाजपा शासित राज्यों के खिलाफ अवमानना का नोटिस जारी किया है। मुख्य न्यायाधीश जस्टिस दीपक मिश्रा की अध्यक्षता वाली तीन सदस्यीय पीठ ने सोमवार (29 जनवरी) को 6 सितंबर, 2017 को दिए गए अदेश को लागू नहीं करने पर कार्रवाई की है। कोर्ट ने राजस्थान, महाराष्ट्र, गुजरात, हरियाणा और उत्तर प्रदेश को नोटिस जारी किया है। तुषार गांधी की अर्जी पर शीर्ष अदालत ने यह कदम उठाया है। कोर्ट ने पांचों राज्यों से जवाब तलब करते हुए पूछा कि क्यों न आपके खिलाफ अवमानना की कार्यवाही शुरू की जाए। याची की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता इंदिरा जयसिंह की दलीलों को सुनने के बाद कोर्ट ने मामले की सुनवाई 23 फरवरी तक के लिए स्थगित कर दी। पीठ ने कहा कि इस मामले में अवमानना के आरोपियों का पेश होना जरूरी नहीं है।

कोर्ट ने सभी राज्यों को हर जिले में नोडल पुलिस अधिकारी नियुक्त करने का आदेश दिया है, ताकि गोरक्षक खुद को कानून न समझने लगें। कोर्ट ने ऐसे मामलों में त्वरित कार्रवाई सुनिश्चित करने का भी निर्देश दिया है। शीर्ष अदालत ने राज्यों को ऐसे पुलिस अफसरों की नियुक्ति पर एक सप्ताह में जवाब दाखिल करने को कहा है। विभिन्न राज्यों के मुख्य सचिवों और डीजीपी को ऐसे अधिकारियों का नाम तय करने की जिम्मेदारी दी गई है। तुषार गांधी ने अपनी अर्जी में कोर्ट को बताया कि केंद्र सरकार द्वारा शीर्ष अदालत में हलफनामा दाखिल करने के बाद गोरक्षा के नाम पर मॉब लिंचिंग की 66 घटनाएं सामने आ चुकी हैं। सीजेआई ने अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल को ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए कदम उठाने को कहा था। कोर्ट ने पूर्व में दिए फैसले में कहा था, ‘योजनाबद्ध तरीके से कार्रवाई करने की जरूरत है, ताकि इस तरह की घटनाओं (गोरक्षा के नाम पर हिंसा) को बढ़ने से रोका जा सके। इसे रोकने का प्रयास करना चाहिए। राज्य इसे कैसे करेंगे, यह उनका काम है। लेकिन, इस तरह की घटनाएं हर हाल में रुकनी चाहिए।’ कोर्ट ने सभी राज्यों के मुख्य सचिवों और डीजीपी को आपस में तालमेल कर हाईवे पर गश्ती करने की सलाह दी थी, ताकि गोरक्षा के नाम पर होने वाली हिंसा को रोका जा सके।