केंद्र में मोदी सरकार के एक साल पूरा करने की पृष्ठभूमि में जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने आज कहा कि भारत का सूक्ष्म-प्रबंधन करना अथवा इसे ‘वन मैन शो’ के रूप में चलाना असंभव है।

उमर ने कहा, ‘‘एक राज्य को चलाना और एक देश को चलाना दो बहुत अलग चीजे हैं। किसी राज्य का सूक्ष्म-प्रबंधन करना बहुत कठिन है, चाहे वह गुजरात जैसा राज्य क्यों न हो लेकिन एक देश का सूक्ष्म-प्रबंधन करना लगभग असंभव है और भारत के आकार वाले देश में आप यह कर ही नहीं सकते।’’ उन्होंने कहा, ‘‘अगर हर फैसले को प्रधानमंत्री कार्यालय सूक्ष्म स्तर पर देखना चाहेगा, तो यह नहीं होने वाला है।’’

पीएमओ की ओर से मामलों का सूक्ष्म-प्रबंधन किए जाने की धारणा के बारे में पूछे जाने पर उमर ने कहा, ‘‘देखिए, मैं पीएमओ में नहीं बैठा हूं। मैं कैबिनेट में भी नहीं हूं। मैं सिर्फ यह बता रहा हूं कि सरकार और इसके कामकाज से जुड़े मित्रों से बात करने पर यह धारणा आ रही है जो मीडिया को कहना है, वह यह कि इसमें कोई संदेह नहीं है कि जिन फैसलों की जरूरत है वे नहीं लिए जा रहे हैं। आम धारणा यह है क्योंकि पीएमओ बहुत भारीभरकम पीएमओ इन सभी फैसलों में शामिल है।’’

मोदी सरकार के कामकाज के बारे में उन्होंने कहा, ‘‘प्रधानमंत्री और उनके मंत्री खुद के प्रचार अभियान के पीड़ित हैं। उन्होंने उम्मीदें इतनी बढ़ा दीं हैं कि जहां वादों को पूरा करना हमेशा मुश्किल और नामुमकिन होता है।’’

उमर ने कहा, ‘‘लोगों ने कुछ मुश्किल मुद्दों पर वादों के पूरा होने के संदर्भ में बहुत उम्मीदें लगाई थी जिनको लेकर वह वादा करते आ रहे हैं और स्पष्ट है कि यह नहीं हो पा रहा है।’’

उन्होंने कहा, ‘‘चाहे वह अर्थव्यवस्था हो, चाहे वो रक्षा एवं शासन संबंधी दूसरे क्षेत्र हों। सतर्कता आयोग और सूचना जैसी संस्थाओं के लिए उपयुक्त व्यक्ति को उपयुक्त स्थान पर रखने जैसे साधारण मामले भी।’’

सीवीसी और सीआईसी के पद पिछले साल सितंबर एवं अगस्त से खाली पड़े हैं। उमर ने कहा, ‘‘और इसलिए मैंने कहा था कि यह धारणा है कि विधायी संस्थाओं पर महत्वपूर्ण निर्णय रुके हुए हैं जिनके नेतृत्व कायम होने की जरूरत है, यह इसका स्पष्ट संकेत है।’’

पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा, ‘‘सरकार को एक साल हो गए लेकिन आपके पास सूचना आयुक्त नहीं हैं। हाल तक हमारे यहां एक व्यक्ति वाला चुनाव आयोग था। दूसरे संगठनों का खयाल करने की जरूरत है।’’

उमर ने कहा, ‘‘यह वाकई चौंकाने वाला है कि निर्णय लेने वाले मुख्यमंत्री के तौर पर पहचान रखने वाले ने कैसे ऐसी परिस्थिति की अनुमति दी जहां ऐसी धारणा बनी है कि महत्वपूर्ण मुद्दों पर उनकी सरकार निर्णय नहीं लेते हुई दिख रही है।’’

उन्होंने कहा कि भारत जैसे देश को ‘वन मैन शो के तौर पर नहीं चलाया जा सकता। यह बिल्कुल भी नहीं हो सकता।’

जम्मू-कश्मीर जैसे आंतरिक मोर्चे के संदर्भ में उमर ने स्पष्ट रूप से निराशा व्यक्त करते हुए कहा, ‘‘मेरे लिए इस प्रधानमंत्री का सबसे बड़ा इम्तहान पिछले साल बाढ़ से प्रभावित हुए जम्मू-कश्मीर के लोगों की मदद करने को लेकर था। और इसमें इस सरकार ने राज्य के लोगों को निराश किया।’’