संजय लीला भंसाली की फिल्‍म पद्मावत के खिलाफ हिंसक विरोध प्रदर्शन करने के कारण करणी सेना विवादों के केंद्र में है। संगठन की हर तरफ आलोचना हो रही है। जम्‍मू-कश्‍मीर के पूर्व मुख्‍यमंत्री और नेशनल कांफ्रेंस के नेता उमर अब्‍दुल्‍ला ने भी करणी सेना के खिलाफ मोर्चा खोल दिया। उन्‍होंने ट्वीट किया, ‘करणी सेना के गुंडों को जीप के आगे बांध कर स्‍कूल बसों और सिनेमा हॉल के सामने क्‍यों नहीं घुमाया जा रहा है? क्‍या भीड़ को नियंत्रित करने के लिए कोई माकूल व्‍यवस्‍था नहीं है?’ उमर अब्‍दुल्‍ला का ट्वीट सामने आते ही लोगों की प्रतिक्रियाएं भी आनी शुरू हो गईं। लोग कहने लगे कि यहां आर्मी नहीं है। नटराजन ने ट्वीट किया, ‘क्‍योंकि वे (करणी सेना के कार्यकर्ता) सेना पर पत्‍थर नहीं बरसा रहे हैं।’ संदीप ने लिखा, ‘हां, और उन राजनेताओं को भी जो कश्‍मीरी पंडितों को अपना घरबार छोड़ने के लिए मजबूर कर दिया।’ अमित बिधूड़ी ने लिखा, ‘मैं करणी सेना की कार्रवाई की निंदा करता हूं, लेकिन उनकी तुलना कश्‍मीर की घटना से करना बेतुका है। क्‍या ये गुंडे पाकिस्‍तान के पेरोल पर हैं?’ बशीर मंजर ने ट्वीट किया, ‘क्‍योंकि इस सेना (करणी) में कोई फरूक डार नहीं है और इस तरह की सेना मेजर गोगोई की सेना से ज्‍यादा ताकतवर होती हैं।’ रविंद्र ने लिखा, ‘करणी सेना को शर्म करनी चाहिए कि उसने लोगों को आतंकवादियों और कश्‍मीर के पत्‍थरबाजों से तुलना करने का अवसर दिया। अब आपका सम्‍मान कहां है? आपलोग कश्‍मीर जाकर ऐसे लोगों को क्‍यों नहीं बताते कि आखिर राजपूत क्‍या हैं?’

करणी सेना पद्मावत के विरोध में देश के कई हिस्‍सों में विरोध प्रदर्शन कर रही है। गुरुग्राम में तो प्रदर्शनकारियों ने स्‍कूल बस तक पर हमला कर दिया था। उस वक्‍त उसमें मासूम बच्‍चे सवार थे। हिंसक घटनाओं को देखते हुए शहर में धारा 144 लागू करना पड़ गया। प्रदर्शनकारियों ने रोडवेज की बस में भी आग लगा दी थी। इसके अलावा गुजरात में उपद्रवियों ने मल्‍टीप्‍लेक्‍स में जाकर तोड़फोड़ भी की। मध्‍य प्रदेश में करणी सेना के कार्यकर्ताओं ने एक स्‍कूल पर हमला कर दिया था। राजस्‍थान में भी कई जगह से उपद्रव के मामले सामने आ चुके हैं। उत्‍तर प्रदेश और बिहार में भी पद्मावत का विरोध किया गया। मालूम हो कि सुप्रीम कोर्ट में एक अर्जी दायर कर फिल्‍म पर रोक लगाने की मांग की थी, जिसे कोर्ट ने खारिज कर दिया गया था। इस बाबत दाखिल पुनर्विचार याचिका को भी ठुकरा दिया गया था। इसके बावजूद करणी सेना और अन्‍य संगठनों के कार्यकर्ता विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं।