Written By Sujit Bisoyi

ओडिशा में हुए दर्दनाक रेल हादसे के दो दिन बाद भी पीड़ित परिवार मॉर्चरी में अपने प्रियजनों की डेड बॉडी की तलाश कर रहे हैं। फोटोग्राफ लेकर अस्पतालों में मॉर्चरी के बाहर पीड़ित परिवारों की भीड़ लगी है। भुवनेश्वर में एम्स के बाहर भी ऐसा ही दृश्य देखने को मिला। यहां परिवार के लोग फोटोग्राफ लेकर अपने प्रियजनों की डेड बॉडी के तलाश में लंबी लाइनों में खड़े इंतजार करते दिखाई दिए।

अनजान ने उठाया भाई का फोन

द इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, सागर टुडू भी अपने भाई की डेड बॉडी लेने के लिए पश्चिम बंगाल के मुर्शीदाबाद से आए हैं। उन्होंने बताया कि उनका भाई मुनसी टुडू चेन्नई में एक कंस्ट्रक्शन फर्म में मिस्त्री का करता था और उसने अपनी पत्नी से दशहरे पर घर लौटने का वादा किया था। हालांकि, वह अपनी पत्नी से किया हुआ वादा पूरा नहीं कर सका और शुक्रवार को कोरोमोंडल एक्सप्रेस हादसे का शिकार हो गया। सागर ने बताया कि जब शनिवार को उन्हें हादसे के बारे में पता चला तो उन्होंने अपने भाई को फोन किया, लेकिन किसी अजनबी ने उसका फोन उठाया और कहा कि वह सोरो अस्पताल से बोल रहे हैं और उन्हें मुनसी की जेब से यह मोबाइल फोन मिला है।

फोटोग्राफ लेकर डेड बॉडी की तलाश

यहीं से कुछ दूरी पर 12 लोगों का एक और समूह अपने प्रियजनों की डेड बॉडी लेने के लिए इंतजार में बैठा नजर आया। ये लोग बंगाल के मेदिनीपुर जिले से थे, जो रेल हादसे में मारे गए सुमन प्रधान और राजीव डकुआ की डेड बॉडी के लिए इंतजार कर रहे थे। उनके साथ नंदन प्रदान, शंकर प्रधान और भोलानाथ गिरी की भी हादसे में मौत हो गई थी। ये सभी लोग भी चेन्नई में एक कंस्ट्रक्शन फर्म में काम करते थे। सुमन के भाई समीरन प्रधान ने बताया कि जब उन्होंने बहनागा हाई स्कूल से नंदन, शंकर और भोलानाथ की डेड बॉडी ली थी तो उन्हें सुमन और राजीव की बॉडी नहीं मिली थी, लेकिन बाद में उन्हें बालासोर के एक टेंपरेरी मुर्दा घर से जानकारी मिली कि उनकी डेड बॉडी को भुवनेश्वर के एम्स में शिफ्ट कर दिया गया है।

ओडिशा सरकार दे रही डेड बॉडी को घर तक पहुंचाने के लिए ट्रांसपोर्ट सुविधा

इस दर्दनाक हादसे में मारे गए लोगों की डेड बॉडी को एम्स और अन्य जगहों पर रखा गया है, जहां पर पीड़ित परिवार शव लेने के लिए पहुंचे हैं। एम्स में 100 डेड बॉडी हैं, जिनमें से 28 की पहचान हो चुकी है जबकि 10 बॉडी उनके परिवारों तक पहुंचाई जा चुकी हैं। द इंडियन एक्सप्रेस की एक रिपोर्ट के मुताबिक, जिस डेड बॉडी की पहचान कर ली जाती है उस पर एक नंबर लिख दिया जाता है। भुवनेश्वर सिविक बॉडी के डिप्टी कमिश्नर राजकिशोर जेना ने कहा कि डेड बॉडी की पहचान हो जाने के बाद उसको एक नंबर दे दिया जाता है और फिर परिवार को उसे सौंप दिया जाता है। उन्होंने बताया कि डेड बॉडी को उसके घर तक पहुंचाने के लिए ट्रांसपोर्ट की सुविधा ओडिशा सरकार द्वारा मुहैया कराई जा रही है।

इस बीच कुछ ऐसे भी लोग हैं जो अभी तक अपने प्रियजनों की बॉडी की पहचान नहीं कर सके हैं। अभिजीत सामई ने बताया कि वह अपने साले शिवांकर दास की डेड बॉडी लेने के लिए आए हैं, सभी अस्पतालों में जा चुके हैं और राज्य सरकार द्वारा जारी की गईं तस्वीरें भी देख चुके हैं, लेकिन अभी तक शिवांकर की डेड बॉडी नहीं मिल सकी है। इस हादसे में 16 साल के अमरेश कुमार की भी मौत हो गई है और उसके परिवार के लोग उसकी डेड बॉडी का इंतजार कर रहे हैं। ओडिशा के मयूरभंज जिले के राजू मरांडी अपने परिवार के इकलौते कमाने वाले थे अब उनकी मौत के बाद परिवार का भविष्य खतरे में आ गया है।

शुक्रवार शाम को कोरोमंडल एक्सप्रेस ट्रेन के डीरेल होने के बाद बड़ा हादसा हो गया था। इस हादस में पहले 288 लोगों के मारे जाने की खबर थी, लेकिन बाद में सरकार की तरफ से इसे अपडेट किया गया और 275 लोगों की मौत की पुष्टि की गई।