इसके मुताबिक स्कूली शिक्षा में ‘अति उत्तम’ श्रेणी के जिलों की संख्या साल 2021-2022 के मुकाबले 60 फीसद घट गई है। दस पायदान की ग्रेडिंग में अति उत्तम दूसरा पायदान है। जबकि ग्रेडिंग के सर्वोच्च पायदान ‘उत्कर्ष’ तक कोई जिला नहीं पहुंच पाया है। यह सूचकांक जिला स्तर पर विद्यालयी शिक्षा प्रणाली के प्रदर्शन का आकलन करता है।
प्रदर्शन ग्रेडिंग सूचकांक के मुताबिक ‘अति उत्तम’ श्रेणी में पिछले साल देश के 124 जिले थे जबकि साल 2021-2022 में इन जिलों की संख्या घटकर 51 हो गई है जो करीब 60 फीसद कम हैं। वहीं, तीसरे पायदान यानी ‘उत्तम’ श्रेणी में भी जिलों की संख्या में पिछले साल के मुकाबले कमी हुई है। साल 2020-2021 में ‘उत्तम’ श्रेणी में 277 जिले थे जबकि 2021-2022 में इस श्रेणी के जिलों की संख्या 271 हो गई।
इन श्रेणियों को 12 डोमेन में विभाजित किया गया है, जिनमें सीखने के नतीजे व गुणवत्ता, अधिगम परिणाम, शिक्षक उपलब्धता एवं व्यावसायिक विकास प्रतिफल, शिक्षण प्रबंधन, शिक्षण संवर्धन गतिविधियां, बुनियादी ढांचा, सुविधाएं, विद्यार्थियों के लिए अवसर, विद्यालय सुरक्षा और बाल संरक्षण, डिजिटल लर्निंग, धनराशि अभिसरण तथा उपयोग, सीआरसी प्रदर्शन को बढ़ावा देना, उपस्थिति निगरानी प्रणाली और विद्यालयी नेतृत्व विकास शामिल हैं।
पीजीआइ-डी जिलों को दस श्रेणियों में वर्गीकृत करता है। इसके अनुसार उच्चतम प्राप्त ग्रेड दक्ष है, जो उस श्रेणी में या कुल मिलाकर 90 फीसद से अधिक अंक प्राप्त करने वाले जिलों के लिए है। पीजीआइ-डी में सबसे निचले ग्रेड को आकांशी-3 कहा जाता है, जो कुल अंकों के 10 फीसद तक के स्कोर के लिए है।