देश की टॉप सिक्योरिटी फोर्सेस में शुमार एनएसजी (नेशनल सिक्योरिटी गार्ड) की एक यूनिट बीते 6 माह से कश्मीर में ‘जबरन छुट्टियां’ मना रही है। दरअसल 80 एलीट एनएसजी कमांडोज की यह यूनिट, आतंकी घटनाओं में त्वरित और प्रभावी कार्रवाई के लिए घाटी में तैनात की गई थी। लेकिन पिछले 6 माह के दौरान इन कमांडोज ने किसी भी आतंकी मुठभेड़ में हिस्सा नहीं लिया है और ये कमांडोज कैंप में ही समय बिता रहे हैं। यही वजह है कि अब एनएसजी के टॉप अधिकारियों ने गृह मंत्रालय का रुख किया है और आतंक प्रभावित राज्य जम्मू कश्मीर में एनएसजी की भूमिका स्पष्ट करने की मांग की है। एनडीटीवी की एक खबर के अनुसार, एनएसजी कमांडोज की घाटी में तैनाती राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोवाल के निर्देश पर की गई थी। इसके पीछे आइडिया था कि जिस तरह से सुरक्षाबलों को कश्मीर में आबादी वाले इलाकों में आतंकी ऑपरेशन चलाने होते हैं, ऐसे में एनएसजी फोर्स यहां काफी उपयोगी साबित हो सकती है।
इस महीने की शुरुआत में एनएसजी के डायरेक्टर जनरल सुदीप लखटकिया ने जम्मू कश्मीर का दौरा भी किया था और यहां उन्होंने राज्यपाल सत्यपाल मलिक और राज्य पुलिस चीफ दिलबाग सिंह के साथ मुलाकात की थी। एनएसजी चीफ का कहना है कि “यह राज्य का विशेषाधिकार है कि किस मुठभेड़ में कौन सी फोर्स का इस्तेमाल करना चाहते हैं, लेकिन राज्य के निवेदन पर ही हमने एनएसजी कमांडोज की एक यूनिट श्रीनगर में तैनात की थी। इसके पीछे कारण था कि हम आतंकी हमलों के दौरान रेस्पॉन्स टाइम घटाना चाहते थे।” एनएसजी के एक वरिष्ठ अधिकारी ने एनडीटीवी के साथ बातचीत में बताया कि “फिलहाल, करीब आधा दर्जन विभिन्न सुरक्षा बल कश्मीर में तैनात हैं और सभी बलों की जिम्मेदारियां तय हैं। लेकिन हमारे लिए अभी तक कोई साफ गाइडलाइन तय नहीं की गई है। इसका नतीजा ये हुआ है कि हम पिछले 6 माह से श्रीनगर के हमहमा कैंप में ही समय बिता रहे हैं।”
एनएसजी के एक अधिकारी का मानना है कि, कश्मीर में जवाबी कार्रवाई वाले ऑपरेशन में शामिल होने से हमें देश के अन्य हिस्सों में होने वाली आतंकी घटनाओं से निपटने की बेहतर तैयारी हो सकेगी। गौरतलब है कि इस साल कश्मीर घाटी में आतंकी घटनाओं में जबरदस्त उछाल आया है और इस साल अभी तक 450 आतंकी घटनाएं हो चुकी हैं। इस दौरान सुरक्षा बलों ने 230 आतंकी ढेर किए हैं, वहीं इन मुठभेड़ के दौरान 85 सुरक्षाबल के जवान भी शहीद हुए हैं। वहीं इस पूरे मसले पर गृह मंत्रालय के अधिकारियों का कहना है कि कश्मीर में सुरक्षाबलों की अच्छी-खासी मौजूदगी है। ऐसे में अभी किसी अन्य फोर्स की घाटी में तुरंत जरुरत नहीं है।