मोदी सरकार ने एनएसए अजीत डोभाल को राष्ट्रीय सुरक्षा के क्षेत्र में योगदान को स्वीकार करते हुए कैबिनेट रैंक का दर्जा देने का फैसला किया है। उनकी नियुक्ति अगले पांच साल के लिए हैं। इसके साथ ही वह राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार बने रहेंगे। कैबिनेट का दर्जा मिलने के बाद एनएसए अजीत डोभाल को वो सभी सुविधाएं मिलेंगी जो एक कैबिनेट मंत्री को मिलती हैं।

इससे पहले एनएसए अजीत डोभाल सोमवार को गृहमंत्रालय में ही मौजूद थे। सरकार की तरफ से कैबिनेट रैंक दिए जाने की घोषणा के बाद से डोभाल गृह मंत्रालय से रवाना हो गए। डोभाल मोदी सरकार के सबसे विश्वसनीय अधिकारियों में शुमार है। जम्मू-कश्मीर में उरी आतंकी हमले का बाद सर्जिकल स्ट्राइक और पुलवामा में जैश के हमले के बाद एयरस्ट्राइक की योजना बनाने का श्रेय एनएसए अजीत डोभाल को ही दिया जाता है।

पीएम मोदी ने साल 2014 में सत्ता में आने के बाद अजीत डोभाल को राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार नियुक्त किया था। सर्जिकल स्ट्राइक के दौरान उन्होंने तीनों सेनाओं के प्रमुखों से तालमेल कर पीएम नरेंद्र मोदी को पल-पल की जानकारी दी थी।  डोभाल  कीर्ति चक्र पाने वाले पहले पुलिस अधिकारी हैं। उन्हें यह सम्मान 1988 में दिया गया था।

2005  में आईबी से हुए रिटायर्डः डोभाल 1968 बैच के आईपीएस अधिकारी है। वे 1972 में खुफिया एजेंसी इंटेलिजेंस ब्यूरो से जुड़े। 2005 में इंटेलिजेंस ब्यूरो की चीफ पद से रिटायर्ड हुए थे। उत्तराखंड के पौड़ी गढ़वाल के रहने वाले डोभाल ने अजमेर के मिलिट्री स्कूल से पढ़ाई की है। उन्होंने आगरा यूनिवर्सिटी से इकोनॉमिक्स में एमए किया है।

ऑपरेशन ब्लू स्टार में महत्वपूर्ण भूमिकाः डोभाल ने 1984 में भारतीय सेना के ऑपरेशन ब्लूस्टार के दौरान गुप्तचर की भूमिका निभाई थी। उन्होंने उस दौरान भारतीय एजेंसियों को कई महत्वपूर्ण सूचनाएं उपलब्ध कराईं जिससे मिशन सफलता पूर्वक पूरा हुआ। 1999 में काठमांडू से इंडियन एयरलाइंस के विमान को हाईजैक कर कंधार ले जाने के बाद उन्हें भारत की तरफ से प्रमुख वार्ताकार बनाया गया था। डोभाल ने कश्मीर में घुसपैठ के जाल को तोड़ने के साथ ही पूर्वोत्तर में शांति समझौता कायम कराने में महत्वपूर्ण भूमिका अदा की है।