केन्द्र सरकार को अर्थव्यवस्था के मोर्चे पर काफी चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है। लेकिन अब आयी एक खबर से सरकार को थोड़ी राहत मिल सकती है। दरअसल बैंकों के एनपीए का स्तर घटा है। केन्द्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने मंगलवार को राज्यसभा में इसकी जानकारी दी। केन्द्रीय वित्त मंत्री ने राज्यसभा के एक सवाल के जवाब में बताया कि वित्तीय वर्ष 2018-19 में देश के शेड्यूल कमर्शियल बैंकों का एनपीए 1.02 लाख करोड़ रुपए घटकर 9.34 लाख करोड़ रुपए रह गया है।

इसके साथ ही 1 लाख रुपए से ज्यादा के फ्रॉड मामलों में भी कमी आयी है। खबर के अनुसार, वित्तीय वर्ष 2019 में फ्रॉड के ऐसे मामलों में रुपए का आंकड़ा घटकर 6,735 करोड़ रुपए पर आ गया है। जबकि साल 2017-18 में यही आंकड़ा 9,866 करोड़ रुपए और साल 2016-17 में ये आंकड़ा 25,884 करोड़ रुपए था। निर्मला सीतारमण ने राज्यसभा में एक लिखित जवाब में बताया कि एनपीए में कमी, सरकार के 4R नीति का नतीजा है। बता दें कि सरकार ने एनपीए घटाने के लिए Recognition, Resolution, Recapitalisation और Reforms की नीति बनायी थी, जिस पर अमल से एनपीए में कमी देखी जा रही है।

उल्लेखनीय है कि एनपीए की समस्या भारतीय बैंकों के लिए कितनी गंभीर हो गई है, इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि 31 मार्च, 2018 को एनपीए का आंकड़ा बढ़कर 10,36,187 करोड़ रुपए तक पहुंच गया था। जिसमें इस साल 1,02,562 करोड़ रुपए की कमी आयी है और अब यह आंकड़ा 9,33,625 करोड़ रुपए तक पहुंच गया है।

वहीं 1 लाख रुपए से ज्यादा के फ्रॉड के मामलों की बात करें तो इस साल ऐसे मामले सबसे ज्यादा आईसीआईसीआई बैंक (374 मामले), कोटक महिंद्रा बैंक (338 मामले), एचडीएफसी बैंक (273 मामले), स्टेट बैंक ऑफ इंडिया (273 मामले), एक्सिस बैंक (195 मामले) और अमेरिकन एक्सप्रेस बैंकिंग कॉरपोरेशन बैक (190 मामले) प्रमुख हैं।