देश में एकल प्लास्टिक के इस्तेमाल पर रोक लगाए जाने के बाद अब केंद्रीय पर्यावरण मंत्रालय ने पर्यावरण नियमों का उल्लंघन करने वाली एजंसियों पर सख्ती करने की तैयारियां शुरू कर दी है। इसके तहत सभी एजंसियों को सख्ती के साथ तय पर्यावरण नियमों का पालन करना होगा, अन्यथा उल्लंघन पाए जाने की स्थिति में उन्हें भारी जुर्माना देना होगा। फिलहाल पर्यावरण मंत्रालय ने वर्तमान नियमों में संशोधन की प्रक्रिया शुरू कर दी है।
माना जा रहा है कि आने वाले समय में नए प्रावधानों के तहत जहां जुर्माना राशि बढ़ेगी, वहीं उल्लंघन करने वालों से मिलने वाली अतिरिक्त राशि से पर्यावरण नुकसान की भरपाई के क्षेत्र में काम करने के लिए नया रास्ता भी खुलेगा। इस कार्य के लिए विशेष पर्यावरण संरक्षण फंड तैयार किया जाएगा। संशोधन प्रस्ताव के मुताबिक भविष्य में पर्यावरण संरक्षण अधिनियम का उल्लंघन करने वाले व्यक्ति या कंपनी पर कम से कम पांच लाख रुपए तक का जुर्माना लगाया जाएगा। यह जुर्माना पांच करोड़ रुपए तक का हो सकता है। इस संशोधन प्रस्ताव पर 21 जुलाई तक संबंधित एजंसियां व आम जनता अपने सुझाव दे सकती हैं।
बार-बार उल्लंघन की स्थिति में संबंधित व्यक्ति को एक अतिरिक्त जुर्माना भी भुगतना होगा, जो कि 50 हजार रुपए प्रतिदिन से कम नहीं होगा और इस जुर्माने को बढ़ा कर पांच लाख तक किया जा सकेगा। नए प्रावधानों के लिए मंत्रालय पर्यावरण (संरक्षण) अधिनियम 1986 (ईपीए) में संशोधन किया जाएगा। इस प्रक्रिया को शुरू किया जा सके इसके लिए मंत्रालय ने सभी राज्यों व केंद्र शासित प्रदेशों को इस बाबत एक मसविदा तैयार करके भेजा है।
वर्तमान प्रावधानों के मुताबिक अभी पर्यावरण नियमों के उल्लंघन के मामले में किसी भी एजंसी और व्यक्ति को पांच साल की सजा और एक लाख रुपए तक के जुर्माने का प्रावधान है। इसके बाद भी उल्लंघन जारी रहता है, तो इस उल्लंघन के लिए हर दिन के लिए पांच हजार रुपए प्रतिदिन तक वसूला जा सकता है। यह प्रावधान कहता है कि उल्लंघनकर्ता यदि उल्लंघन जारी रखता है, तो जांच टीम इन उल्लंघन प्रावधानों के तहत सात साल तक इस कार्यवाही कर सकती है।