विभिन्न मेडिकल कॉलेजों में MBBS की 52,000 से भी ज्यादा सीटों के लिए अलग-अलग कॉलेजों में अप्लाई करने वाले स्टूडेंट्स को सुप्रीम कोर्ट ने राहत दी है। छात्र अब इन सभी कॉलेजों के लिए नेशनल एलिजबिलटी एंट्रेंस टेस्ट यानी  NEET नामक एक कॉमन टेस्ट देकर आवेदन कर सकेंगे। सुप्रीम कोर्ट ने इस व्‍यवस्‍था को मंजूरी दे दी है। कोर्ट के आदेश के मुताबिक, एमबीबीएस, बीडीएस और पीजी कोर्सेज में  NEET  के जरिए दाख‍िले के लिए दो चरणों में सिंगल कॉमन एंट्रेंस टेस्‍ट होगा । NEET का पहला फेज एक मई को होगा, जबकि दूसरा फेज 24 जुलाई को होगा। संयुक्‍त परीक्षा परिणाम 17 अगस्‍त को घोषित किया जाएगा।

इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने एनईईटी के माध्यम से एमबीबीएस, बीडीएस और पीजी कोर्स में नामांकन के लिए संयुक्त प्रवेश परीक्षा के आयोजन को लेकर केंद्र को निर्देश देने की मांग संबंधी याचिका पर अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था। बता दें कि याचिकाकर्ता ने  एनजीओ की शोध के हवाले से दावा किया था कि निजी और सरकारी प्राधिकारियों द्वारा अलग-अलग 90 प्रवेश परीक्षाओं का आयोजन किया जाता है, जिसमें लाखों रूपये खर्च होते हैं।

केंद्र और एमसीआई ने जो प्रस्‍ताव रखा था, उसके अनुसार मई में होने वाली ऑल इंडिया पीएमटी परीक्षा को एनईईटी-1 को माना जायेगा और दूसरे चरण को एनईईटी-2 माना जायेगा, जिसका आयोजन 24 जुलाई को होगा और 17 अगस्त को संयुक्त परिणाम घोषित किये जायेंगे। इस व्‍यवस्‍था को ही सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को मंजूरी दी।

एनईईटी के जरिये प्रवेश परीक्षा आयोजित करने के फैसले को तमिलनाडु, कर्नाटक चिकित्सा महाविद्यालयों के संघ एवं सीएमसी वेल्लोर जैसे अल्पसंख्यक संस्थानों ने गैरकानूनी और असंवैधानिक बताते हुए इसका विरोध किया था। तमिलनाडु ने एनईईटी पर कड़ी आपत्ति जाहिर की और कहा कि राज्य में वर्ष 2007 के बाद से प्रवेश परीक्षाओं की कोई संस्कृति नहीं है।

इससे पहले 11 अप्रैल को सर्वोच्च न्यायालय ने सभी मेडिकल कॉलेजों में एमबीबीएस, बीडीएस और स्नातकोत्तर पाठ्यक्रमों में नामांकन के लिए संयुक्त प्रवेश परीक्षा को खत्म करने के अपने विवादित निर्णय को वापस ले लिया था। संयुक्त प्रवेश परीक्षा को खत्म करने का निर्णय तत्कालीन प्रधान न्यायाधीश अल्तमस कबीर की सेवानिवृत्ति वाले दिन उनकी अध्यक्षता वाली पीठ ने सुनाया था।