हरियाणा में 1997 बैच के आईपीएस अधिकारियों के प्रमोशन को लेकर बड़ी अजीब स्थिति बन गई है। सरकार के लिए यह मुश्किल हो गया है कि वह उनके दो साल पहले योग्य होने के बाद भी अभी तक ऐसा नहीं कर सकी है। हालात ऐसा है कि इनके पहले के बैच और इनके बाद के बैच वालों का प्रमोशन हो गया है।

देश के बाकी राज्यों में हो चुका है बैच का प्रमोशन

हरियाणा को छोड़कर देश के 1997 बैच के सभी आईपीएस कैडर में प्रमोशन किया गया था। साथ ही देश के ज्यादातर आईपीएस कैडर में 1998 बैच के अफसरों को भी प्रमोशन दिया गया है। जले पर नमक छिड़कने के लिए राज्य (हरियाणा) ने मई 2022 में 1996 बैच के आईपीएस अधिकारियों – ममता सिंह, हनीफ कुरेशी, एम रवि किरण और केके राव – (आईजीपी और एडीजीपी रैंक से) को भी प्रमोट कर दिया। विभाग में और बाहर इसको लेकर आलोचना कर रहे लोगों का आरोप है “वैकेंसी नहीं होने” के बावजूद उन्हें प्रमोट किया गया था। यह एक ऐसी कार्रवाई जिसके लिए हरियाणा सरकार निशाने पर रही है। यह पता चला है कि 1996 बैच के मामले में गलतियां सामने आने के बाद राज्य अब 1997 बैच के प्रमोशन मामले में सावधानी बरत रहा है।

गृहमंत्रालय की सहमति और पात्रता की तारीख पर फंसा केस

1997 बैच के आईपीएस प्रमोशन पर रोक लगाने का तर्क यह है कि नियमों के मुताबिक गृह मंत्रालय की पूर्व सहमति जरूरी है। लेकिन राज्य के डीजीपी शत्रुजीत कपूर ने गृहमंत्रालय के एक पत्र (सितंबर 2022) का हवाला दिया है, जिसमें कहा गया है कि प्रमोशन के लिए पात्रता की तारीख से कम से कम 45 दिन पहले पूर्व सहमति लेनी होगी। 1997 बैच के हरियाणा आईपीएस अधिकारी 1 जनवरी 2022 को पहले ही आईजीपी से एडीजीपी में प्रमोशन के लिए पात्र हो गए थे। इसके अलावा डीजीपी के अनुसार केंद्र सरकार को सूचित करने के बाद लेकिन बिना पूर्वानुमति मांगे राज्य में तीन एआईएस (अखिल भारतीय सेवाओं) में प्रमोशन किया गया है।

डीजीपी बोले- 2005 बैच के अफसरों के प्रमोशन में नहीं ली गई सहमति

इस मुद्दे पर गृह विभाग के एक पत्र के जवाब में डीजीपी शत्रुजीत कपूर ने लिखा, “राज्य में 2005 बैच के आईपीएस अधिकारियों की हाल ही में डीआईजी से आईजीपी रैंक तक प्रमोशन में सरकार द्वारा गृह मंत्रालय की पूर्व सहमति नहीं मांगी गई थी।” इतना ही नहीं, एडीजीपी से लेकर डीजीपी रैंक तक के प्रमोशन में भी रुकावटें आ रही हैं।

राज्य पुलिस प्रशासन कम से कम चार वरिष्ठ आईपीएस अधिकारियों के प्रमोशन पर जोर दे रहा है, जिनमें 1997 बैच के आईपीएस अधिकारी अमिताभ ढिल्लों और संजय कुमार (आईजीपी से एडीजीपी रैंक तक) और आलोक कुमार रॉय और एसके जैन (1991 बैच) को एडीजीपी से डीजीपी रैंक तक शामिल है। राज्य पुलिस प्रशासन एडीजीपी पद पर तीन रिक्तियों का दावा कर रहा है।

इंडियन एक्सप्रेस को पता चला है कि सितंबर में गृह मंत्री अनिल विज द्वारा स्पष्टीकरण मांगे जाने के बाद वर्तमान में राज्य गृह विभाग के कानूनी अधिकारी प्रमोशन के मुद्दे की जांच कर रहे हैं।

विज ने फाइल पर लिखा: “…यह स्पष्ट करना आवश्यक है कि क्या… आईपीएस अधिकारियों के लिए जिन एक्स-कैडर पदों पर प्रमोशन का मामला रखा गया है, वे वित्त विभाग से अनुमोदित हैं और भारत सरकार के गृह मंत्रालय की सहमति भी लिया गया है? यदि नहीं, तो ऐसे मामले में, पहले, एफडी (राज्य वित्त विभाग) की मंजूरी और एमएचए (भारत सरकार) की सहमति प्राप्त की जानी चाहिए।” एडीजीपी से लेकर डीजीपी तक की पदोन्नति की फाइल पर भी विज ने वित्त विभाग की मंजूरी और एमएचए की सहमति पर जोर दिया।