मालविका प्रसाद
Twin Tower Demolition: नोएडा के सेक्टर 93ए में सुपरटेक ट्विन टावरों को सीरियल ब्लास्ट करके ध्वस्त कर दिया गया है। ब्लास्ट के बाद धुएं का गुबार उठा और इलाके में चारों तरफ सिर्फ धुआं ही धुआं ही दिखाई देने लगा। दोनों टावरों में करीब 3,700 किलोग्राम विस्फोटक डाला गया था।
सुपरटेक ट्विन टावरों को गिराने के लिए डिमोलिशन क्षेत्र में काम करने वाले कई दिग्गजों ने हाथ मिलाया है। इस काम को मुंबई की एक फर्म एडिफिस इंजीनियरिंग द्वारा किया जा रहा है। वहीं एडिफिस ने दक्षिण अफ्रीका की जेट डिमोलिशन के साथ भागीदारी की है। इसके अलावा रुड़की स्थित केंद्रीय भवन अनुसंधान संस्थान ने भी डिमोलिशन की तैयारियों को मंजूरी देकर इसमें अहम भूमिका निभाई है।
आइए जानते हैं कि उन पांच एक्स्पर्ट्स से जिनका सुपरटेक ट्विन टावर गिराने में सबसे बड़ा रोल है-
जो ब्रिंकमैन:
जो ब्रिंकमैन यूएसए स्थित मिसौरी-रोला विश्वविद्यालय से एक प्रशिक्षित माइनिंग इंजीनियर हैं और इसमें पोस्ट ग्रेजुएट हैं। ब्रिंकमैन को विस्फोटक और ब्लास्टिंग में विशेषज्ञता हासिल है। वो 1980 के दशक से विस्फोटकों के साथ काम कर रहे हैं। साल 1994 में उन्होंने जेट डिमोलिशन की स्थापना की थी। भारत में इस कंपनी ने लगभग ढाई साल पहले कोच्चि में तीन प्रोजेक्ट पर काम किया था।
वहीं ब्रिंकमैन का कहना है कि हमने कई साल पहले अपने तरीकों से इस तरह के कामों को पूरा किया है। ट्विट टावर को गिराने के लिए सारी तैयारियां पूरी कर ली गई हैं। जांच हो चुकी है, सब प्लान के हिसाब से है और हम रविवार दोपहर 2.30 बजे इस काम को अंजाम देंगे।
उत्कर्ष मेहता:
उत्कर्ष मेहता मुंबई की एक फर्म एडिफिस इंजीनियरिंग में भागीदार हैं। यह फर्म नवंबर 2011 से बिल्डिंग्स को गिरान के व्यवसाय में है। मेहता ने बैचलर ऑफ इंजीनियरिंग (मैकेनिकल) पूरा करने के बाद फॉरेन बिजनेस में पोस्ट ग्रेजुएट और मार्केटिंग मैनेजमेंट में डिप्लोमा किया है। उन्हें डिमोलिशन के क्षेत्र में 11 सालों से अधिक का अनुभव है।
मयूर मेहता:
मयूर मेहता ने मुंबई विश्वविद्यालय से बी.कॉम स्नातक हैं। पिछले 10-11 सालों से वे एडिफिस इंजीनियरिंग के साथ काम कर रहे हैं और सुपरटेक प्रोजेक्ट के मैनेजर हैं। उनका कहना है कि यह मराडू में फर्म द्वारा किए गए डिमोलिशन के कार्यों से टिन टावर डिमोलिशन का काम अलग है।
चेतन दत्ता:
20 साल से डिमोलिशन के फील्ड में काम करने वाले चेनत दत्ता कॉमर्स ग्रेजुएट हैं। दत्ता ने हरियाणा के भिवानी में खनक स्टोन माइंस में ब्लास्टिंग हेल्पर के रूप में काम किया था। उन्होंने बताया कि एडिफिस इंजीनियरिंग ने मार्च में मुझसे संपर्क किया था। वहीं जुलाई में उत्कर्ष मेहता ने मुझे इस काम के लिए तैयार होने के लिए कहा था। जिसके बाद मैंने अपने 10 वर्करों को ट्विन टावर की जगह भेजा। एक बार जब सुप्रीम कोर्ट ने अगस्त में मंजूरी दे दी, तो मेरे वर्करों ने इमारत को विस्फोटक से चार्ज करना शुरू कर दिया।
गौरतलब है कि चेतन एंटरप्राइजेज नाम से दत्ता एक कंपनी चलाते हैं और माउंट आबू, पानीपत, साथ ही उत्तराखंड में ब्लास्टिंग एक्सरसाइज भी कर चुके हैं।
डॉ डी पी कानूनगो:
IIT-रुड़की से M.Tech और PhD डिग्री लेने वाले डॉ डी पी कानूनगो 1994 से वैज्ञानिक और औद्योगिक अनुसंधान परिषद और केंद्रीय भवन अनुसंधान संस्थान (CSIR-CBRI) में सेवारत हैं। वो सीबीआरआई में एक चीफ साइंटिस्ट के तौर पर हैं। उन्होंने कहा कि हमने डिमोलिशन के लिए 2 करोड़ रुपये के इंस्ट्रूमेंटेशन मॉनिटरिंग इक्विपमेंट लगाए हैं और पूरे इवेंट को कैप्चर करेंगे।
उन्होंने जानकारी दी कि ट्विन टावर में 10 ब्लैक बॉक्स रखे गये हैं। जिसमें 5 एपेक्स में और 5 सियान में लगाए गये हैं। इससे विस्फोट की स्पीड, रोटेशन और टावर के गिरने की प्रक्रिया को समझने में मदद मिलेगी। इसी डेटा के हिसाब से विश्लेषण किया जाएगा।
टावर गिरने के बाद मलबा हटाने में तीन महीने लगेंगे:
ट्विन टावर से करीब 42 हजार क्यूबिक मीटर मलबा निकलेगा, जिसकी कीमत 13.35 करोड़ रुपये आंकी जा रही है। वहीं टावर के मलबे को हटाने में तीन महीने लगेंगे। बता दें कि दोनों टावर को गिराने में 17.55 करोड़ रुपये खर्च होगा। टावर के गिरने के बाद उठने वाले धूल के गुबार को रोकने के लिए 15 एंटी स्मॉग गन और 75 वॉटर टैंक की व्यवस्था की गई है।