अर्थशास्त्र में प्रतिष्ठित नोबेल पुरस्कार जीतने वाले अभिजीत बनर्जी ने कहा कि अगर वे भारत में रहे होते तो इतने बड़े पुरस्कार को कभी नहीं पाते, क्योंकि यहां प्रतिभाओं को तराशने और उनको सपोर्ट करने का कोई सिस्टम नहीं है। कहा कि देश में बहुत प्रतिभाएं हैं, लेकिन वे आगे नहीं बढ़ पा रही हैं। जयपुर में चल रहे लिटरेचर फेस्टिवल में रविवार को पहुंचे बनर्जी ने कहा कि मेरे पुरस्कार जीतने में दूसरे लोगों का बड़ा सहयोग है।
बोले रुपयों की कमी है, सही गति से चलने की जरूरत: उन्होंने कहा कि देश की अर्थव्यवस्था पटरी पर नहीं है, लेकिन हाल के दिनों में इसमें कुछ सुधार के संकेत दिखाई पड़े हैं। नए आंकड़े आ रहे हैं। व्यवस्था सही राह पर है, लेकिन वक्त लगेगा। धीरे-धीरे लेकिन लगातार काम करने की जरूरत है। देश में रुपयों की कमी है। हम सही गति से चलते रहे तो निश्चित रूप से संकट से ऊबर जाएंगे।
कहा कि गरीबों को सब्सिडी जारी रहनी चाहिए: अमेरिका में रह रहे भारतीय अर्थशास्त्री अभिजीत बनर्जी ने कहा देश में 1990 की तुलना में 2020 में गरीबी में उल्लेखनीय कमी आई है। 30 साल पहले देश में 40 फीसदी लोग गरीब थे। आज के समय 20 फीसदी लोग ही गरीब हैं। देश की आबादी लगातार बढ़ रही है और गरीबी कम हो रही है। यह अच्छी बात है। जो काफी गरीब हैं, उन्हें सब्सिडी देते रहना चाहिए।
बोले सरकार पर नहीं बन पा रहा दबाव: उन्होंने इस संभावना को खारिज कर दिया कि वे आरबीआई के गवर्नर बन सकते हैं। कहा कि गवर्नर बनने के लिए माइक्रो इकोनॉमिक्स का जानना जरूरी है। एक अच्छा माइक्रो इकोनॉमिस्ट ही अच्छा गवर्नर बन सकता है। कहा कि, “मैं इसका जानकार नहीं हूं। ऐसे में मैं इस जिम्मेदारी को नहीं उठा सकता हूं।” उन्होंने यह भी कहा कि लोकतांत्रिक देश की शासन व्यवस्था में सत्ता पक्ष और विपक्ष दोनों का योगदान होता है। जहां विपक्ष कमजोर होता है, वहां सत्ता पक्ष भी सही ढंग से कार्य नहीं कर सकता है। कहा कि हिंदुस्तान में विपक्ष विखरा हुआ है। उसके बहुत से हिस्से हैं। कब कौन सा हिस्सा किससे जुड़ जाए, यह कहा नहीं जा सकता है। इससे सरकार पर दबाव नहीं बन पाता है और देश की स्थिरता प्रभावित होती है।