हजारों बाल मजदूरों को मजदूरी के दलदल के बाहर निकालकर उन्हें शिक्षा देने वाले नोबेल पुरस्कार विजेता कैलाश सत्यार्थी आज एबीपी न्यूज के आइडिया ऑफ आइडिया कार्यक्रम में पहुंचे। जहां उन्होंने देश के बेहतर भविष्य के लिए कई आइडिया पर भी बातचीत की। इस दौरान उन्होंने अपनी निजी जिंदगी से जुड़ा एक किस्सा भी सभी के साथ साझा किया।

खाना बनाने का शौक: मंच पर कैलाश सत्यार्थी से उनके खाना बनाने के शौक के बारे में पूछा गया। इस पर कैलाश सत्यार्थी ने जवाब देते हुए कहा कि “हम शुद्ध शाकाहारी लोग हैं इसीलिए अंडे भी नहीं खाते हैं और आमलेट भी नहीं बनानी आती है।” आगे उन्होंने कहा कि “शाकाहारी खाने में मैं काफी सारी चीजें बना लेता हूं, लेकिन सुमेधा जी (पत्नी) जिस चीज की तारीफ करती है। शादी से पहले भी वह उन्हें बनाकर खिलाया है तो वो भरवां टमाटर है, जिसमें हम टमाटर में पनीर, मेवा और मसाले भरकर बनाते हैं। वहीं उन्हें आज भी अच्छी लगती है।”

बचपन बचाओ आंदोलन: कैलाश सत्यार्थी ने अपने जीवन की शुरुआत एक इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग के रूप में की थी। 1981 में बच्चों को बाल मजदूरी से बचाने के लिए ‘बचपन बचाओ आंदोलन’ की शुरुआत की। यह शुरुआत तब उन्होंने की जब देश में बच्चों के हक के लिए कोई मुखर आवाज नहीं थी। उन्होंने बच्चों के अधिकार दिलाने के साथ, बालश्रम को एक अभिशाप के रूप में मान्यता दिलाई।

बता दें कि बच्चों के लिए काम करते हुए उन्होंने कैलाश सत्यार्थी ने चिल्ड्रन फाउंडेशन और बाल आश्रम ट्रस्ट की स्थापना भी की है।

90 हजार बच्चों को आजाद कराया: कैलाश सत्यार्थी ने बचपन बचाओ आंदोलन के तहत अब तक देशभर में जगह जगह अभियान चलाकर 90 हजार से अधिक बच्चों को बंधुआ मजदूरी, गुलामी से मुक्त करा कर उनका पुनर्वास करा चुके हैं। बचपन बचाओ आंदोलन अन्य गैर-सरकारी संगठनों के साथ मिलकर हजारों ऐसी फैक्ट्रियों तथा गोदामों पर छापे पड़वाए, जो बच्चों से काम करवा रहे थे। इस दौरान कई बार उन पर हमले हुए हैं।