संसद परिसर में धरना प्रदर्शनों पर प्रतिबंध के बाद अब एक और बवाल शुरू हो गया है। संसद परिसर में धरने या हड़ताल पर प्रतिबंध को लेकर जारी किए गए नोटिस के बाद एक के बाद एक विपक्षी दल केंद्र की मोदी सरकार को घेरने में लगे हैं। तृणमूल कांग्रेस की सांसद महुआ मोइत्रा ने एक ट्वीट कर कहा कि संसद परिसर में गांधी जी की प्रतिमा को ही क्यों नहीं हटा देते और संविधान के आर्टिकल 19 (1) को मिटा दो।
वहीं, कांग्रेस और एनसीपी समेत अन्य विपक्षी दलों ने भी इस मामले में केंद्र पर हमला बोला है। हालांकि, लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला का कहना है कि यह एक रुटीन प्रक्रिया है और हर सत्र शुरू होने से पहले ये दिशा-निर्देश जारी किए जाते हैं, इस पर कोई राजनीति नहीं होनी चाहिए।
सोमवार से मॉनसून सत्र शुरू होने जा रहा है। उससे पहले राज्यसभा के महासचिव पीसी मोदी ने गुरुवार (14 जुलाई, 2022) को एक नोटिस जारी किया इसमें आदेश दिया गया कि कोई भी सदस्य किसी धरने या हड़ताल के लिए संसद परिसर का इस्तेमाल करेगा। इसके साथ ही उन्होंने सदस्यों के सहयोग की भी मांग की।
इस पर, कांग्रेस सांसद जयराम रमेश , तृणमूल कांग्रेस के नेता डेरेक ओ ब्रायन और एनसीपी प्रमुख शरद पवार ने इसे लेकर सरकार पर हमला बोला। इसके बाद, लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने सफाई देते हुए कहा कि असंसदीय शब्दों और धरना प्रदर्शनों को लेकर जारी किए गए दिशा-निर्देश एक सामान्य प्रक्रिया है और हर सत्र से पहले ये दिशा-निर्देश जारी किए जाते हैं।
उन्होंने सभी राजनीतिक दलों से अपील की कि इस पर कोई राजनीति नहीं होनी चाहिए। उन्होंने कहा कि सभी दलों से आग्राह है कि बिना सच जाने लोकतांत्रिक संस्थानों पर आरोप ना लगाएं।
बता दें कि इससे दो दिन पहले बुधवार को मॉनसून सत्र को लेकर एक पुस्तिका जारी कर उन शब्दों को सूचीबद्ध किया गया था, जिन्हें दोनों सदनों में असंसदीय माना जाएगा। सभी सदस्यों से राज्यसभा और लोकसभा की कार्यवाही के दौरान अससंदीय शब्दों का इस्तेमाल नहीं करने के निर्देश दिए गए थे। इसे लेकर भी विपक्षी दलों ने सरकार को घेरा था।