सारदा चिटफंड घोटाला मामले में केंद्र सरकार अलग-अलग सुरों में बोलती दिखाई दी। उसके एक मंत्री ने संसद में कहा कि अभी तक की जांच से यह साफ नहीं हुआ है कि सारदा चिट फंड धन का इस्तेमाल बांग्लादेश में आतंकवाद को बढ़ावा देने के लिए किया गया। मंत्री ने भाजपा प्रमुख अमित शाह के आरोपों के विपरीत बात कही जो सारदा घोटाले और बांग्लादेश आतंकवाद के बीच संबंध होने का आरोप लगा चुके हैं।
कार्मिक राज्य मंत्री जितेंद्र सिंह ने लोकसभा में एक सवाल के लिखित जवाब में बताया कि अभी तक की जांच से ऐसे किसी लेनदेन का पता नहीं चला है कि आतंकवादी गतिविधियों को हवा देने के लिए धन को बांग्लादेश भेजा गया। जबकि रविवार को कोलकाता में एक रैली को संबोधित करते हुए शाह ने आरोप लगाया था कि सारदा चिटफंड के पैसे का इस्तेमाल दो अक्तूबर के बर्दवान विस्फोट में किया गया। बर्दवान विस्फोट के तार जमात उल मुजाहिदीन बांग्लादेश आतंकवादी संगठन के साथ जुड़े होने की जांच की जा रही है।
विपक्ष और विशेष रूप से तृणमूल कांग्रेस द्वारा शाह पर हमला बोले जाने के बीच केंद्रीय मंत्री और पश्चिम बंगाल से भाजपा के टिकट पर चुने गए बाबुल सुप्रियो ने जितेंद्र सिंह के बयान पर हैरानी जताई और आरोप लगाया कि राज्य में सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस और उसके सांसदों के बांग्लादेश में आतंकी साजिश से संबंध थे। उन्होंने कहा कि कुछ ही देर पहले मुझे जितेंद्र सिंह के बयान के बारे में पता चला है। इसका अलग कारण है। काफी जिम्मेदार लोग थे जिन्होंने यह सुनिश्चित करने के लिए काफी तेजी से कार्रवाई की कि राज्य सरकार के पास सबूत हैं और इसे कई टीवी कैमरों के सामने रिकार्ड किया गया है।
उन्होंने कहा कि सबूतों को नष्ट करने में राज्य सरकार का हाथ था जिनसे राज्य सरकार, तृणमूल कांग्रेस या उनके सांसदों का आतंकी साजिश से संबंध साबित हो सकता था जो न केवल पश्चिम बंगाल केंद्रित थी बल्कि इसके तार बांग्लादेश और पड़ोसी देशों से भी जुड़े थे। इसलिए केंद्र सरकार ने बेहद समझदारी से काम किया और कार्रवाई में एनआइए को शामिल किया। एनआइए इस समय पूरे मामले की बेहद व्यापक जांच पड़ताल कर रही है। जितेंद्र सिंह ने जो कहा है, मुझे कुछ देर पहले उसका पता चला। मुझे देखना होगा कि उन्होंने ऐसा क्यों कहा।
जितेंद्र सिंह से सवाल किया गया था कि क्या सरकार ने रिपोर्टों में ये संकेत आने के बाद सारदा चिटफंड घोटाले की जांच का ब्योरा मांगा है कि धन का एक हिस्सा आतंकवादी गतिविधियों के वित्त पोषण के लिए बांग्लादेश भेजा गया। सिंह ने जवाब दिया कि सरकार ने जांच का ब्योरा नहीं मांगा है, लेकिन संसदीय मामलों के मंत्री वेंकैया नायडू ने यह कहते हुए इस विवाद में पड़ने से इनकार कर दिया कि आप मंत्री से और पार्टी अध्यक्ष से पूछिए। मैं हर बात पर टिप्पणी नहीं करता और आप मुझसे ये उम्मीद नहीं कर सकते कि मैं अपने अध्यक्ष पर टिप्पणी करूंगा।
कांग्रेस नेता वीरप्पा मोइली ने भाजपा अध्यक्ष पर हमला बोलते हुए कहा कि उन्हें मुद्दे की संवेदनशीलता को समझना चाहिए क्योंकि यह एक करीबी पड़ोसी से जुड़ा है। उन्हें यह नहीं भूलना चाहिए कि वह यह स्वीकार कर रहे हैं कि भारतीय धन का इस्तेमाल आतंकी गतिविधियों के वित्त पोषण के लिए किया जा रहा है। यह बेहद नुकसान पहुंचाने वाला बयान है। या तो वह गैर जिम्मेदार हैं या पश्चिम बंगाल में कुछ राजनीतिक दलों की छवि खराब करने के लिए राजनीतिक बयान दे रहे हैं।
शाह से देश और पश्चिम बंगाल की जनता से माफी की मांग करते हुए मोइली ने कहा कि उनकी सरकार इस बात से इनकार करती है कि ऐसी कोई चीज हो रही है। उस सूरत में, सरकार कई हितों को साथ लेकर काम कर रही है। हर किसी को पता है कि अमित शाह मोदी का दायां हाथ हैं। इसका मतलब यह हुआ कि भाजपा सरकार या मंत्रियों द्वारा दिए जाने वाले बयानों पर अधिक ध्यान नहीं दिया जाना चाहिए। इसी प्रकार की मांग रखते हुए तृणमूल कांग्रेस नेता सुदीप बंदोपाध्याय ने कहा कि असल बात यह है कि अमित शाह को कुछ पता नहीं रहता। उन्हें न तो विषय की जानकारी है और न ही उन्हें जरा सा भी यह पता है कि सार्वजनिक बैठक में उन्हें क्या कहना है ।
बंदोपाध्याय ने कहा कि सरकार ने जो संसद में कहा है, शाह को उसे स्वीकार करना चाहिए क्योंकि आए दिन वह तृणमूल कांगे्रस प्रमुख ममता बनर्जी के खिलाफ बेसिर पैर के आरोप लगाते रहते हैं।
लेकिन माकपा नेता सीताराम येचुरी को शाह द्वारा सार्वजनिक बैठक में किए गए दावे के मद्देनजर मंत्री का बयान अजीब और विरोधाभासी लगा। शाह ने कहा था कि यह बात साबित हो चुकी है कि संबंध है और इसीलिए राष्ट्रीय जांच एजंसी यहां पर है। उन्होंने कहा कि राज्य मंत्री का सदन में इस प्रकार का बयान देना साफ संकेत है कि तृणमूल कांग्रेस और भाजपा के बीच कोई समझौता है क्योंकि भाजपा को राज्यसभा के गतिरोध से निकलने के लिए तृणमूल कांग्रेस के समर्थन की जरूरत है।