तीन मूर्ति एस्टेट में देश के ‘सभी प्रधानमंत्रियों के म्यूजियम’ की नींव रखने के कुछ दिनों बाद ही इसे लेकर विवाद शुरु हो गया है। दरअसल नेहरु मेमोरियल म्यूजियम एंड लाइब्रेरी सोसाइटी (NMML) के कुछ सदस्यों ने इस मुद्दे पर सरकार के रुख के प्रति नाराजगी जाहिर की थी। अब खबर आयी है कि सरकार ने NMML से 3 सदस्यों को हटा दिया है और उनके स्थान पर नए सदस्यों की नियुक्ति कर दी गई है। गौरतलब है कि सरकार का यह फैसला ऐसे वक्त आया है, जब सोसाइटी के एक सदस्य प्रताप भानु मेहता ने इस मुद्दे पर ‘राजनैतिक दबाव’ के चलते इस्तीफा दे दिया है। सूत्रों के अनुसार, मेहता का इस्तीफा स्वीकार कर लिया गया है।
जिन सदस्यों को सरकार ने NMML से हटाया है, उनमें अर्थशास्त्री नितिन देसाई, प्रोफेसर उदयन मिश्रा और पूर्व नौकरशाह बीपी सिंह का नाम शामिल है। हटाए गए सदस्यों ने नेहरु मेमोरियल म्यूजियम एंड लाइब्रेरी में सभी प्रधानमंत्रियों का म्यूजियम बनाने के सरकार के फैसले की खुले तौर पर परेशानियों का इजहार किया था। गौरतलब है कि इस्तीफा देने वाले और हटाए गए सदस्यों के स्थान पर सरकार ने नव-नियुक्त सदस्यों के नाम का भी ऐलान कर दिया है। सरकार के नोटिफिकेशन के अनुसार, पूर्व विदेश सचिव एस.जयशंकर, पत्रकार अरनब गोस्वामी, भाजपा सांसद और भारतीय काउंसिल फॉर कल्चरल रिलेशन के अध्यक्ष विनय सहस्त्रबुद्धि नए सदस्य बनाए गए हैं।
This is the order from the culture ministry approving the changes pic.twitter.com/toINiKTQul
— Vasudha Venugopal (@vasudha_ET) November 2, 2018
इकॉनोमिक टाइम्स की एक खबर के अनुसार, 29 अक्टूबर को जारी किए गए मिनिस्टरी ऑफ कल्चर के नोटिफिकेशन के अनुसार, नए सदस्यों का कार्यकाल 26 अप्रैल, 2020 तक या अगले आदेश तक रहेगा। बता दें कि म्यूजियम से संबंधित सभी महत्वपूर्ण फैसले नेहरु मेमोरियल म्यूजियम एंड लाइब्रेरी सोसाइटी ही लेती है। वहीं सरकार के इस फैसले पर टिप्पणी करते हुए कांग्रेस नेता और NMML के सदस्य जयराम रमेश ने कहा है कि ‘जिन लोगों को रिप्लेस किया गया है, वो लोग मजबूत इच्छाशक्ति वाले लोग हैं।’ वहीं नव-नियुक्त सदस्य विनय सहस्त्रबुद्धि ने सरकार के इस फैसले पर खुशी जतायी है और उन्हें सदस्य बनाए जाने के लिए पीएम मोदी और केन्द्रीय संस्कृति मंत्री डॉ. महेश शर्मा को धन्यवाद दिया है।
