बिहार के मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देने के बाद जीतन राम मांझी द्वारा लगाए गए आरोपों का जवाब देते हुए पूर्व सीएम नीतीश कुमार ने कहा कि मैंने कभी भी सरकार के कामकाज में दखल नहीं दिया। उन्होंने राज्यपाल की ओर से सरकार बनाने का न्योता जल्द मिलने की उम्मीद जताते हुए कहा कि मौका मिला तो एक बार फिर बिहार की जनता की सेवा करूंगा और उसी तेवर के साथ करूंगा जैसा कि इससे पहले साढ़े आठ साल करता रहा था। उन्होंने कहा कि हम राज्यपाल के न्योते का आज भर इंतजार करेंगे।

मांझी के इस्तीफे के बाद बुलाई गई जेडी(यू) विधायकों की बैठक के बाद नीतीश ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा कि भावना में आकर मैंने आठ महीने पहले इस्तीफा दे दिया था, इसके लिए मैं बिहार की जनता से हाथ जोड़कर माफी मांगता हूं। उन्होंने बीजेपी पर आरोप लगाते हुए कहा कि पूरी स्क्रिप्ट उसकी (बीजेपी) तरफ से लिखी गई थी और उसका गेमप्लान बेनकाब हो गया है।’ नीतीश ने कहा कि हमारी पार्टी की चट्टानी एकता की वजह से मांझी पहले ही मैदान छोड़कर भाग गए। उन्होंने कहा कि मांझी अब जाति कार्ड खेल रहे हैं, जबकि इतना बड़ा सम्मान उन्हें पार्टी ने ही दिया था।

नीतीश ने कहा कि बीजेपी जुगाड़ से सरकार बनवाना चाहती थी और अब स्पीकर पर बेबुनियाद आरोप लगाए जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि मांझी के सारे आरोप गलत हैं और यह सब कुछ बीजेपी के इशारे पर किया गया। इस मौके पर नीतीश ने कहा, ‘मैं मानता हूं कि सीएम पद से इस्तीफा देना मेरी भूल थी। मैं बिहार की जनता से माफी मांगता हूं। मैंने जिम्मेदारी लेने का फैसला किया है। अब दारोमदार राज्यपाल पर है।’

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नीतीश कुमार फिर बनेंगे बिहार के मुख्यमंत्री, 22 फरवरी को लेंगे शपथ

 

इससे पहले बिहार विधानसभा में विश्वास मत के दौरान हार के आसार साफ तौर पर देख रहे मांझी ने यह कहते हुए अपने पद से इस्तीफा दे दिया कि उनके समर्थकों को जान से मारने की धमकी दी गई और वह नहीं चाहते थे कि विधानसभा से उनके समर्थक विधायकों की सदस्यता समाप्त हो। मांझी ने अपने घर पर संवाददाताओं को बताया, ‘जब यह स्पष्ट हो गया कि किसी और के कहने पर काम कर रहे विधानसभा अध्यक्ष उदय नारायण चौधरी विश्वास मत के दौरान गुप्त मतदान की अनुमति नहीं देंगे तो मैंने सोचा कि अपने समर्थक विधायकों को खतरे में डालना उचित नहीं होगा और फिर मैंने इस्तीफा दे दिया।’

मांझी सदन की कार्यवाही शुरू होने से पहले करीब सवा दस बजे राजभवन गए। वहां राज्यपाल केशरीनाथ त्रिपाठी को अपना इस्तीफा सौंपने के बाद वह विधानसभा नहीं गए और साढ़े ग्यारह बजे उन्होंने मुख्यमंत्री आवास पर संवाददाताओं के सामने उन्होंने अभी भी 140 से अधिक विधायकों का समर्थन होने का दावा करते हुए कहा कि खूनखराबे और अपने समर्थक विधायकों को प्रताड़ित होने से बचाने के लिए आगे न बढ़ने का फैसला किया। मांझी ने कहा कि इस्तीफा देने के बाद उन्होंने राज्यपाल से वह फैसला लेने का आग्रह किया जो प्रदेश के हित में सर्वश्रेष्ठ हो। संवाददाता सम्मेलन के दौरान उनका समर्थन करने वाले सभी आठ मंत्री उनके साथ थे। इनमें से सात जेडी (यू) के और एक निर्दलीय विधायक हैं।

मांझी ने विधानसभा स्पीकर उदय नारायण चौधरी पर भी पक्षपात का आरोप लगाया। बकौल मांझी, ‘विधानसभा अध्यक्ष का रवैया तानाशाही भरा और असंवैधानिक है। वह स्वविवेक से फैसले ले रहे हैं या फिर किसी के इशारे पर गलत निर्णय ले रहे हैं? उनके रवैये से न केवल मैं आहत हूं, बल्कि उन्होंने विधायकों के साथ अन्याय किया है।’ मांझी ने दावा किया अगर आज भी गुप्त मतदान हो, तो उनके पास मौजूद बहुमत का पता चल जाएगा। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री बनने के बाद दो-तीन महीने तक वह सिर्फ उनके पास भेजे गए फाइलों पर ही हस्ताक्षर करते रहे और कुंठित रहे, लेकिन लोगों द्वारा रबर स्टांप मुख्यमंत्री कहे जाने पर उनका स्वाभिमान जागा और खुद निर्णय लेना शुरू किया, जिसके बाद पैसे के लिए काम करने वाले लोग नाराज हो गए।

उन्होंने कार्यकाल के दौरान कई काम पूरे नहीं कर पाने पर भी अफसोस जाहिर किया। मांझी ने कहा, ‘मैं समाज के हर तबके के लिए काम करना चाहता था, कुछ तो काम किया, लेकिन बहुत कुछ नहीं कर पाया।’ उन्होंने राष्ट्रीय जनता दल (आरजेडी) के अध्यक्ष लालू प्रसाद पर भी निशाना साधते हुए कहा, ‘पहले वह भी मांझी को परेशान नहीं करने की बात करते थे, लेकिन पिछले 10-15 दिन से न जाने क्या हो गया कि वह भी चुप हो गए।’