भाजपा ने आरोप लगाया कि बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के इस प्रदेश के लिए घोषित 1.65 लाख हजार करोड़ के विशेष पैकेज को लेकर ‘लेटर वार’ करके राज्य की जनता को भ्रमित करने के प्रयास में लगे हैं।

सुशील ने एक प्रेस विज्ञप्ति जारी कर नीतीश पर 14वें वित्त आयोग की अनुशंसा पर बिहार को मिलने वाली हजारों करोड की अतिरिक्त राशि और प्रधानमंत्री द्वारा घोषित 1.65 लाख हजार करोड़ के विशेष पैकेज को लेकर ‘लेटर वार’कर राज्य की जनता को भ्रमित करने के प्रयास में लगे हैं।

उन्होंने कहा कि एक-डेढ महीने पहले तक नीतीश कुमार परेशान थे कि प्रधानमंत्री बिहार को भूल गए हैं। अब उनकी परेशानी है कि प्रधानमंत्री डेढ महीने में पांच बार बिहार क्यों आ गए। नीतीश के इस रवैये से स्पष्ट है कि जब तक बिहार में केंद्र के अनुकूल सरकार नहीं बनती है विकास संभव नहीं है।

सुशील ने कहा कि नीतीश कुमार भ्रामक प्रचार कर रहे हैं कि 14वें वित्त आयोग की अनुशंसा पर अगले पांच साल में बिहार को 55 हजार करोड़ रुपये का घाटा होगा जबकि हकीकत है कि केंद्रीय करों में राज्यों की हिस्सेदारी के तौर पर इस प्रदेश को पहले से 2 लाख 15 हजार करोड़ रुपये ज्यादा मिलेगा। नीतीश कुमार बतायें कि क्या यह सही नहीं है कि अब बिहार को केंद्रीय करों में उत्तर प्रदेश के बाद सर्वाधिक 3,81,394 करोड़ रुपये मिलेगा?

उन्होंने पूछा कि क्या बिहार को मिलने वाली यह राशि गुजरात से तीन गुना कर्नाटक एवं आन्ध्र प्रदेश से दोगुना से भी ज्यादा और पश्चिम बंगाल, मध्यप्रदेश एवं महाराष्ट्र से एक लाख करोड से अधिक नहीं है। क्या अब बिहार के निकायों को पहले की 5682 करोड़ रुपये की तुलना में चार गुना से अधिक 23694 करोड़ रुपये की राशि नहीं मिलेगी।

सुशील ने आरोप लगाया कि इसी प्रकार प्रधानमंत्री द्वारा घोषित 1.65 लाख हजार करोड़ रुपये के विशेष पैकेज के मामले में भी प्रदेश के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार लगातार गलतबयानी कर जनता को भरमाने की कोशिश कर रहे हैं। पुरानी योजनाओं को विशेष पैकेज में शामिल करने का उनका आरोप बेबुनियाद है।

उन्होंने कहा कि जिस प्रकार से नीतीश कुमार योजनाओं के प्रस्ताव और स्वीकृति को परिभाषित कर रहे हैं, वैसे में क्या दुनिया की कोई भी योजना पैकेज का हिस्सा बन सकती है। अगर 2007 की स्वीकृत योजनाएं पैकेज में शामिल हैं तो नीतीश कुमार बतायें कि बीते 8 सालों में योजनाएं पूरी क्यों नहीं हुई। क्या अपनी ही विफलताओं का नीतीश कुमार ढिंढोरा नहीं पीट रहे हैं।

सुशील ने आरोप लगाया कि दरअसल नीतीश कुमार जब जनता से किए अपने एक भी वादे को पूरा करने में विफल हो गए तो केंद्र सरकार पर बेबुनियाद दोषारोपण व बेतुका पत्र लिख कर अपनी नाकामियों को छुपाना चाहते हैं। बिहार की जनता यह अच्छी तरह से समझ चुकी है कि जब तक यहां केंद्र के साथ कदम से कदम मिला कर चलने वाली सरकार नहीं बनती है तब तक विकास संभव नहीं है।