सुप्रीम कोर्ट पर बयान देकर बीजेपी सांसद निशिकांत दुबे बुरा फंस गए हैं। अब माना जा रहा है कि उनके खिलाफ कोर्ट की अमानना की कार्रवाई हो सकती है, अटॉर्नी जनरल को इस सिलसिले में एक चिट्ठी भी लिख दी गई है। अब जैसा बयान दिया गया है, जानकार मानते हैं कि पूरी संभावना है कि निशिकांत दुबे के खिलाफ कोई एक्शन हो जाए, उनकी मुश्किलें बढ़ जाएं।
कानून क्या कहता है?
असल में कानून कहता है कि कंटेम्प्ट ऑफ कोर्ट एक्ट, 1971 की धाएरा 15(b) के तहत अगर अटॉर्नी जनरल या सॉलिसिटर जनरल से कार्रवाई की परमीशन मिल जाए, उस स्थिति में सुपीम कोर्ट की अवमानना की कार्यवाही संभव है। अब जानकारी के लिए बता दें कि बीजेपी सांसद निशिकांत दुबे ने सुप्रीम कोर्ट के कुछ हाल के फैसलों को लेकर काफी नाराजगी व्यक्त की है। उन्हें ऐसा लगता है कि अदालत सरकार के काम में हस्तक्षेप कर रही है।
निशिकांत दुबे ने क्या कहा था?
असल में कुछ दिन पहले ही सुप्रीम कोर्ट ने अपने एक आदेश में राष्ट्रपति तक को नसीहत दी थी, कहा था कि तीन महीने से ज्यादा किसी बिल को नहीं रोकना चाहिए। उसी नसीहत को लेकर निशिकांत दुबे ने निशाना साधा था, उन्होंने इसे संविधान तक के खिलाफ बता दिया था।
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निशिकांत दुबे ने कहा था कि देश में धार्मिक युद्ध भड़काने के लिए सुप्रीम कोर्ट जिम्मेदार है। उन्होंने कहा था, “सुप्रीम कोर्ट अपनी सीमा से बाहर जा रहा है। अगर हर बात के लिए सुप्रीम कोर्ट जाना है तो संसद और विधानसभाओं को बंद कर दिया जाना चाहिए।” दुबे ने कहा था कि देश में जितने गृह युद्ध हो रहे हैं उसके जिम्मेदार केवल सीजेआई संजीव खन्ना हैं। बीजेपी के एक और सांसद दिनेश शर्मा ने कहा था कि कोई भी राष्ट्रपति को चुनौती नहीं दे सकता क्योंकि राष्ट्रपति सर्वोच्च हैं।
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