मोदी सरकार में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण के पति ने अर्थव्यवस्था पर नरसिम्हा राव-मनमोहन सिंह के मॉडल को अपनाने का सुझाव दिया है। सीतारमण के पति और जाने-माने राजनीतिक अर्थशास्त्री पराकला प्रभाकर ने सोमवार को ‘द हिंदू’ में एक आर्टिकल लिखा, जिसमें उन्होंने सरकार की आर्थिक नीतियों को कटघरे में खड़ा किया और 90 के दशक में उदारीकरण को लागू करने वाले और देश की अर्थव्यवस्था को धार देने वाले पूर्व पीएम नरसिम्हा राव और मनमोहन सिंह के आर्थिक मॉडल को लागू करने की सलाह दी। प्रभाकर ने सत्ताधारी पार्टी पर नेहरूवादी आर्थिक ढांचे को नष्ट करने को लेकर भी कटघरे में खड़ा किया।
आंध्र प्रदेश सरकार के पूर्व सूचना सलाहकार रहे प्रभाकर ने ‘द हिंदू’ में ‘A Lodestar to Steer the Economy’ नाम के शिर्षक के तहत लिखे आर्टिकल में लिखा है, “आधुनिक दौर में बाजार-संचालित वैश्विक दुनिया में ‘एकात्म मानववाद’ जैसे विचार व्यावहारिक रूप से नीतिगत पहल में शामिल नहीं किए जा सकते हैं। बीजेपी राव-सिंह के आर्थिक आर्किटेक्चर को पूरी तरह से लागू करके खुद को सीमित एजेंडे से मुक्त कर सकती है।”
निर्मला सीतारमण ने अपने पति के इस सुझाव पर प्रतिक्रिया देते हुए मोदी सरकार के द्वारा किए गए आर्थिक कार्यों का ब्यौरा पेश कर दिया। उन्होंने कहा कि 2014 से 2019 के बीच कई मूलभूत आर्थिक सुधार किए गए। जिनमें से जीएसटी एक महत्वपूर्ण कदम रहा है। उन्होंने कहा कि जीएसटी कांग्रेस के कार्यकाल के दौरान लागू नहीं की जा सकी। वहीं, IBC और ‘आधार’ को व्यापक बनाया गया है। इसके अलावा टैक्स में सुधार के साथ-साथ उज्ज्वला योजना से 8 करोड़ महिलाओं को फायदा पहुंचाया गया। उन्होंने कहा कि दुनिया में सबसे कम टैक्स का भुगतान भारत में करना होगा। यदि इसकी तारीफ की जाती तो अच्छा रहता।
वित्त मंत्री के पति प्रभाकर ने अपने सुझाव में कहा है कि जैसे सरदार वल्लभभाई पटेल बीजेपी की राजननीतिक उद्देश्यों में एक आइकन बन सकते हैं, ठीक वैसे ही नरसिम्हा राव आर्थिक ढांचे के लिए एक मजबूत आधार बन सकते हैं। उन्होंने कहा, ”इसे पूरी तरह से अपनाने (नरसिम्हा राव की आर्थिक नीति) और आक्रामक रूप से इस पर काम करने से बीजेपी और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार खस्ताहाल हो चुकी अर्थव्यवस्था को डूबने से बचा सकती है।”