संसद में आज केन्द्रीय मंत्रियों निरंजन ज्योति और गिरिराज सिंह के कथित विवादास्पद बयानों को लेकर विपक्ष ने भारी हंगामा किया किया जिससे दोनों सदनों की कार्यवाही बाधित हुई। हालांकि निरंजन ज्योति ने बाद में अपने बयान पर खेद जताया लेकिन विपक्ष इन मंत्रियों को बर्खास्त करने और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से जवाब देने की मांग पर अड़ा रहा।

इस मुद्दे पर हंगामे के कारण लोकसभा में जहां प्रश्नकाल के दौरान बैठक को पन्दह मिनट के लिए स्थगित किया गया वहीं राज्यसभा में शून्यकाल के दौरान बैठक को दस-दस मिनट के लिए दो बार स्थगित किया गया।

दोनों सदनों में कांग्रेस सहित विपक्ष के नेता केन्द्रीय मंत्रियों के बयान पर घोर आपत्ति जताते हुए इन मंत्रियों को बर्खास्त करने और प्रधानमंत्री से इस मुद्दे पर स्पष्टीकरण देने की मांग की।

हंगामे के बीच केन्द्रीय मंत्री निरंजन ज्योति ने संसद में कहा, ‘‘मेरा इरादा किसी को दुख पहुंचाने का नहीं था। न था, और न है। जो बात मेरे मुंह से निकली है, उसके लिए मैं खेद प्रकट करती हूं।’’ उन्होंने राज्यसभा में यह भी कहा, ‘‘यदि सदन को लगता है तो मैं इसे लेकर माफी मांगने को भी तैयार हूं।’’

इससे पहले सुबह लोकसभा की कार्यवाही शुरू होने पर कांग्रेस के नेता मल्लिकार्जुन खडगे ने इस विषय को उठाते हुए कहा कि उन्होंने कार्यस्थगन नोटिस दिया है। उन्होंने कहा कि मंत्री का बयान बेहद आपत्तिजनक है। देश में साम्प्रदायिक दंगे हो रहे हैं और ऐसे बयान दिये जा रहे हैं। मंत्री को माफी मांगनी चाहिए।

अध्यक्ष सुमित्रा महाजन ने उनके कार्यस्थगन प्रस्ताव को मंजूरी नहीं दी।

इस पर कांग्रेस सदस्य नारेबाजी करते हुए अध्यक्ष के आसन के समीप आ गए। तृणमूल कांग्रेस सदस्य भी इस विषय को उठाते हुए अध्यक्ष के आसन के समीप आ गए और ‘‘मोदी सरकार हाय, हाय’’ के नारे लगाने लगे। शोर शराबा थमता नहीं देख अध्यक्ष ने सदन की कार्यवाही करीब सवा ग्यारह बजे 15 मिनट के लिए स्थगित कर दी।
सदन की बैठक फिर शुरू होने पर स्थिति ज्यों की त्यों बनी रही। कांग्रेस, तृणमूल कांग्रेस, आम आदमी पार्टी के सदस्य अध्यक्ष के आसन के निकट आकर सरकार के खिलाफ नारेबाजी करने लगे।

इस बीच संसदीय कार्य मंत्री वेंकैया नायडू ने कहा कि आपने जो विषय उठाया है, वह गंभीर मामला है। मैं भी इसे स्वीकार करता हूं। सदस्य ने वास्तव में क्या बोला मुझे नहीं मालूूम है। अखबार से पता चला है। आपने नोटिस दिया है। ‘‘ हमने सदस्य से बात की है। सदस्य खेद प्रकट करने को तैयार हैं।’’
मंत्री के बयान के बाद मंत्री निरंजन ज्योति ने अपने बयान पर खेद प्रकट किया जिसके बाद सदन में प्रश्नकाल सामान्य ढंग से चलने लगा।

उधर, राज्यसभा कांग्रेस के उप नेता आनंद शर्मा ने शून्यकाल में यह मुद्दा उठाते हुए कहा कि प्रजातंत्र में एक केंद्रीय मंत्री से उम्मीद की जाती है कि वह सभ्य भाषा का प्रयोग करेंगे लेकिन इस मामले में केंद्रीय मंत्री ने जिस तरह की अभ्रद भाषा का प्रयोग किया और गाली दी उसे कतई बर्दाश्त नहीं किया जा सकता। उन्होंने मांग की कि इस मामले में प्रधानमंत्री को सदन में बुलाया जाए और उनसे जवाब देने के लिए कहा जाए।

माकपा नेता सीताराम येचुरी ने भी मंत्री के बयान की भर्त्सना करते हुए प्रधानमंत्री को सदन में बुलाने की मांग की। सपा नेता रामगोपाल यादव ने मंत्री से माफी मांगने और उनके माफी मांगने से इंकार किए जाने की स्थिति में उनसे इस्तीफा लेने अथवा उन्हें मंत्रिमंडल से बर्खास्त करने की मांग की।

कांग्रेस के नेता अश्विनी कुमार ने कहा कि केंद्रीय मंत्री के इस बयान से देश के 80 फीसदी मतदाताओं का अपमान हुआ है। उन्होंने कहा कि मंत्री को फौरन मंत्रिमंडल से बर्खास्त किया जाना चाहिए और प्रधानमंत्री को स्पष्टीकरण देना चाहिए।

बसपा प्रमुख मायावती ने भी केंद्रीय मंत्री निरंजन ज्योति को बर्खास्त करने की मांग करते हुए कहा कि उनके खिलाफ प्राथमिकी दर्ज कर उच्च स्तरीय जांच कराई जानी चाहिए।

कांग्रेस के सत्यव्रत चतुर्वेदी ने भी इस मामले में प्रधानमंत्री से स्पष्टीकरण की मांग की जबकि जदयू नेता शरद यादव ने कहा कि इसी सरकार के एक अन्य मंत्री ने पूर्व में बयान दिया था कि जो वोट नहीं देते हैं उन्हें पाकिस्तान चले जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि ऐसे मंत्रियों को सरकार में रहने का कोई हक नहीं है।

कांग्रेस नेता दिग्विजय सिंह ने कहा कि मंत्री का बयान एक संज्ञेय अपराध है और इसमें केवल माफी मांगने से काम नहीं चलेगा। हंगामे के बीच ही संसदीय कार्य मंत्री एम

वेंकैया नायडू ने कहा कि इस मामले में मंत्री ने दूसरे सदन में खेद जता दिया है और वह कुछ देर में इस सदन में भी आ कर खेद जताएंगी। विपक्षी सदस्य नायडू की इस बात से संतुष्ट नहीं हुए और वह इस मुद्दे पर प्रधानमंत्री की सफाई और मंत्री को बर्खास्त करने की मांग दोहराते रहे।

इसके कुछ ही देर बाद निरंजन ज्योति सदन में आर्इं और उन्होंने अपने बयान पर खेद जताया। हंगामे के बीच ही उन्होंने यह भी कहा कि यदि सदन को लगता है तो वह माफी मांगने को तैयार हैं।

मंत्री के इस बयान के बावजूद विपक्षी सदस्यों का हंगामा जारी रहा जिसके कारण सदन को पहले दस मिनट और फिर दोबारा दस मिनट के लिए दोपहर बारह बजे तक स्थगित कर दिया गया।

दोपहर बारह बजे बैठक फिर शुरू होने पर विपक्षी सदस्यों ने केंद्रीय मंत्री को मंत्रिमंडल से हटाए जाने की मांग फिर दोहराई।