जम्मू-कश्मीर में पत्थरबाजी की घटनाओं में शामिल होने के आरोप में कामराम यूसुफ नाम के शख्स को गिरफ्तार किया गया था। कामरान यूसुफ का दावा है कि वह पेशे से एक पत्रकार है, जबकि राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एएनआई) ने अपनी चार्जशीट में गुरुवार (15 फरवरी) को कहा है कि उसके खिलाफ मिले साक्ष्यों से पता चलता है कि वह पेशेवर पत्रकार नहीं है और जो साक्ष्य मिले हैं वे उसके देश विरोधी गतिविधियों के समर्थन को बयां करते हैं। एनआईए ने सरकार के द्वारा किए जाने वाले विकास कार्यों, अस्पताल या स्कूल के उद्घाटन या किसी सत्तारूढ़ पार्टी के नेता का बयान कवर नहीं करने को साक्ष्यों के तौर पर सूचीबद्ध किया है और कहा है कि ये बातें जाहिर करती है कि कामरान यूसुफ असल पत्रकार नहीं है। एनआईए ने 18 जनवरी को कश्मीर में टेरर फंडिंग और पत्थरबाजी की घटनाओं के खिलाफ चार्जशीट दाखिल की थी। चार्जशीट में 12 लोगों के नाम हैं, जिनमें कामरान यूसुफ भी शामिल है।
कामरान यूसुफ स्वतंत्र पत्रकार होने का दावा करता है, उसे कथित तौर पर पत्थरबाजी की घटनाओं में शामिल होने के आरोप में 5 सितंबर को गिरफ्तार किया गया था। गुरुवार (15 फरवरी) को अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश तरुण शेरावत के समक्ष एनआईए ने कामरान यूसुफ की जमानत के लिए हुई सुनवाई के दौरान साक्ष्य पेश किए। इस मामले में अगली सुनवाई 19 फरवरी को होनी है। चार्जशीट में एनआईए ने ‘एक पत्रकार के नैतिक कर्तव्य’ को सूचीबद्ध किया है और कामराम यूसुफ के पत्रकार होने पर संदेह जताया है। एनआई की तरफ से कहा गया है- ”क्या वह पेशे से पत्रकार या स्ट्रिंगर है, अगर ऐसा है तो वह कम से कम एक नैतिक कर्तव्य निभा चुका होता जैसे कि अपने अधिकार क्षेत्र में होने वाली गतिविधियों और घटनाओं (अच्छी-बुरी) को कवर करता। उसने कभी सरकार या किसी एजेंसी द्वारा किए जाने वाले विकास कर्यों, अस्पताल, स्कूल भवन, सड़क, पुल का उद्घाटन, किसी सत्तारूढ़ दल का बयान या भारत सरकार या राज्य सरकार द्वारा कोई अन्य सामाजिक या विकासशील गतिविधी को कवर नहीं किया।”
चार्जशीट में सेना और अर्ध-सैनिक बलों के द्वारा घाटी में रक्त-दान शिविर, मुफ्त चिकित्सा जांच, कौशल विकास कार्यक्रम और इफ्तियार पार्टी आयोजन जैसे सामाजिक कार्यों का उल्लेख किया गया है। चार्जशीट में कहा गया है कि कामरान यूसुफ ने शायद ही ऐसी गतिविधियों का कोई वीडियो या तस्वीरें ली हों, उसके मोबाइल और लैपटॉप से मिली तस्वीरें बताती हैं कि उसका इरादा देश द्रोही गतिविधियों को कवर करने और उन तस्वीरों से पैसे कमाने का था। एनआईए के मुताबिक यूसुफ पेशेवर नहीं था क्योंकि उसने किसी संस्थान से पत्रकारिता का प्रशिक्षण नहीं लिया है। वहीं कोर्ट में यूसुफ की वकील वारीशा फारासात ने कहा कि वह पत्रकार होने के मानदंड पूरा करता है।