कश्मीर की एक विशेष अदालत ने आतंकी संगठन हिजबुल मुजाहिदीन के सरगना मोहम्मद यूसुफ शाह के खिलाफ गैर-जमानती वारंट जारी किया है। यह कार्रवाई मोहम्मद यूसुफ शाह के खिलाफ 2012 में पुलिस द्वारा दर्ज किए गए आतंकवाद से संबंधित एक मामले में की गई है। मोहम्मद यूसुफ शाह को सैयद सलाहुद्दीन के नाम से भी जाना जाता है।
बडगाम जिले में एनआईए की एक विशेष अदालत के जज ने गैर-जमानती वारंट जारी करते हुए कहा कि यह पता चलता है कि इस मामले में जांच अधिकारी ने पर्याप्त सबूत एकत्र किए हैं जो पहली नजर में शाह को यूएपीए एक्ट और आरपीसी के तहत अपराधी ठहराते हैं।
जज ने कहा कि अदालत इस बात से संतुष्ट है कि हिजबुल मुजाहिदीन का सरगना इस मामले में गिरफ्तारी से बच रहा है।
अदालत ने आदेश दिया कि इसलिए आरोपी के खिलाफ गैर-जमानती वारंट जारी किया जाता है और यह निर्देश दिया जाता है कि जम्मू-कश्मीर पुलिस उसे गिरफ्तार करे।
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पाकिस्तान भाग गया था सलाहुद्दीन
सैयद सलाहुद्दीन ने 1987 में घाटी में विधानसभा चुनाव लड़ा था। कश्मीर में उग्रवाद भड़कने पर 1990 में वह पाकिस्तान भाग गया। वहां वह उग्रवादी संगठन हिजबुल मुजाहिदीन का सरगना बन गया। सैयद सलाहुद्दीन को जम्मू और कश्मीर में सक्रिय उग्रवादी संगठनों के गुट यूनाइटेड जिहाद काउंसिल का चीफ भी बनाया गया था।
2017 में अमेरिका ने सैयद सलाहुद्दीन को वैश्विक आतंकवादी घोषित किया था। 2020 में केंद्रीय गृह मंत्रालय ने भी यूएपीए के तहत सलाहुद्दीन को आतंकवादी घोषित कर दिया था।
बेटों को कर दिया था बर्खास्त
जम्मू-कश्मीर के उपराज्यपाल मनोज सिन्हा ने सलाहुद्दीन के तीनों बेटों- शाहिद यूसुफ, शकील यूसुफ और मुईद यूसुफ को धारा 311(2)(सी) के तहत सरकारी नौकरियों से बर्खास्त कर दिया था। इनमें से शाहिद और शकील को एनआईए ने टेरर फंडिंग से संबंधित एक मामले में गिरफ्तार किया है।
