जम्मू-कश्मीर के अलगाववादी नेता याासिन मलिक और देश के नामी कार्डियोलॉजिस्ट प्रोफेसर (डॉक्टर) उपेंद्र कौल के बीच कथित हवाला लेनदेन से जुड़ी एनआईए की जांच महज कन्फ्यूजन का मामला निकला। यह कन्फ्यूजन ब्लड टेस्ट रिपोर्ट में इस्तेमाल एक संक्षिप्त तकनीकी शब्द के इस्तेमाल की वजह से हुआ, जिसकी कारण पद्मश्री सम्मानित प्रोफेसर कौल को पूछताछ के लिए तलब कर लिया गया।

शुक्रवार सुबह 10.30 बजे के करीब प्रोफेसर कौल से उनके और मरीज यासीन मलिक के बीच टेक्स्ट मैसेज पर हुई बातचीत को समझाने के लिए कहा गया। इन संदेशों में “INR 2.78” का इस्तेमाल किया गया था। प्रोफेसर कौल के मुताबिक, एनआईए को लगता था कि इस शब्द का इस्तेमाल हवाला लेनदेन के लिए किया गया है।

हालांकि, पूछताछ शुरू होने के कुछ मिनटों के अंदर ही प्रोफेसर कौल ने एजेंसी के अफसरों के सामने यह साफ कर दिया कि टेक्स्ट मैसेज में इस्तेमाल INR का मतलब इंटरनैशनल नॉर्मलाइज्ड रेश्यो (INR) है। यह उस ब्लड टेस्ट का नतीजा है, जिसके तहत यह जांचा जाता है कि किसी मरीज के खून के थक्के कितनी जल्दी एंटी क्लॉटिंग दवाओं को सोखते हैं। इस शब्द का भारतीय रुपये वाले INR से कोई संबंध नहीं है।

दिलचस्प बात यह है कि जिस प्रोफेसर कौल को एनआईए ने 2017 के टेरर फंडिंग केस में बतौर गवाह शुक्रवार को तलब किया, वह केंद्र सरकार द्वारा जम्मू-कश्मीर का विशेष दर्जा खत्म करने और इसे केंद्र शासित प्रदेशों में बांटने की आलोचना कर चुके हैं। द इंडियन एक्सप्रेस से बातचीत में प्रोफेसर कौल ने माना कि यासीन मलिक 1996 से ही उनसे इलाज करा रहे हैं।

प्रोफेसर कौल ने बताया, ‘जब मलिक जेल में थे तो उन्हें गृह मंत्रालय और सीनियर रॉ अधिकारी एएस दुलत एम्स लेकर आए थे। एम्स में उन्हें मेरे पास मेडिकल सुपरीटेंडेंट जांच के लिए लाए थे। इसके बाद उनका दिल का ऑपरेशन ऑरटिक वॉल्व रिप्लेसमेंट हुआ था।’ वर्तमान में बत्रा हार्ट सेंटर के चेयरमैन प्रोफेसर कौल ने कहा, ‘सर्जरी क बाद, वह कई बार पोस्ट ऑपरेटिव केयर के लिए आए। उनका एक ब्लड टेस्ट हुआ, जिसमें उनके खून के थक्के जमने की क्षमता की जांच हुई। इसे ही इंटरनैशनल नॉर्मलाइज्ड रेश्यो कहते हैं।’

उन्होंने बताया कि एक स्वस्थ व्यक्ति के लिए 1.1 के आसपास का INR सामान्य माना जाता है। वहीं, जिन्हें खून को पतला करने की दवाएं दी जाती हैं, उनका INR 2-3 के बीच होता है। जहां तक मलिक का सवाल है, उनका INR का आंकड़ा 2.78 था और उनसे ब्लड रिजल्ट के टेस्ट के नतीजे टेक्स्ट मैसेज पर शेयर किए गए थे। प्रोफेसर के मुताबिक, NIA का दिमाग INR को पढ़कर ठनका होगा और उन्होंने इसे जम्मू-कश्मीर में चल रहा कोई हवाला लेनदेन समझ लिया होगा। हालांकि, प्रोफेसर ने बताया कि एनआईए ने बेहद शिष्ट तरीके से पूछताछ की।

वहीं, एनआईए सूत्रों का कहना है कि डॉक्टर और यासीन मलिक के बीच टेक्स्ट मैसेज पर काफी बातचीत हुई थी, जिसके बारे में पूछताछ होनी जरूरी थी। उनके मुताबिक, यह एक सामान्य प्रक्रिया है। संदिग्धों के कॉल डिटेल्स में जिनके नंबर दिखते हैं, ऐसे कई लोगों को पूछताछ के लिए बुलाया जाता है। सूत्रों ने दावा किया कि उन्हें तो यह भी पता नहीं था कि कौल ने सरकार की आलोचना की है।