पाकिस्तानी आतंकी संगठन जैश-ए-मोहम्मद (JeM) पुलवामा हमले के बहाने भारत और पाक के बीच युद्ध भड़काना चाहता था। यह खुलासा पुलवामा हमले की जांच कर रही राष्ट्रीय सुरक्षा एजेंसी (एनआईए) ने अपनी चार्जशीट में किया है। जम्मू की कोर्ट में सौंपी गई 13,500 पन्नों की चार्जशीट में एनआईए ने JEM सरगना मसूद अजहर, उसके भाइयों अब्दुल रऊफ और अम्मार अल्वी तथा उसके रिश्तेदार मोहम्मद उमर फारूक का नाम भी शामिल किया है जिसने अप्रैल 2018 में भारत में घुसपैठ की थी और दक्षिण कश्मीर में एक मुठभेड़ में मारा गया था।
एनआईए के आरोप पत्र में अज़हर के भाइयों के अलावा समीर डार और अशाक अहमद नेंग्रू, दोनों दक्षिण कश्मीर के पुलवामा निवासियों और एक पाकिस्तानी नागरिक मोहम्मद इस्माइल का नाम फरार के तौर पर दिया गया है। पिछले साल फरवरी में आतंकियों ने दक्षिण कश्मीर के पुलवामा में सीआरपीएफ काफिले पर घात लगाकर हमला बोल दिया था जिसमें 40 जवान शहीद हो गए थे। एनआईए ने चार्जशीट में लिखा है कि हमले को अंजाम देने कि लिए घुसपैठिए दो साल पहले यानी 2018 में ही आ चुके थे। इन हमलावरों को यकीन था कि पुलवामा में सीआरपीएफ काफिले पर हमले के बाद भारत और पाकिस्तान के बीच युद्ध छिड़ जाएगा और इस बीच जैश-ए-मोहम्मद हिन्दुस्तान में और घुसपैठियों की एंट्री करा लेगा।
सूत्रों ने बताया कि एजेंसी ने उन JeM संचालकों के बीच हुई बातचीत को साक्ष्य के तौर पर चार्जशीट में संलग्न किया हैं, जिन्होंने अप्रैल 2018 में कश्मीर में घुसपैठ की थी और हमले की योजना बनाई थी।
एनआईए के एक अधिकारी ने बताया, “मारे गए उमर फारूक और मोहम्मद कामरान जैसे आरोपियों के फोन से विभिन्न वॉयस पैकेट बरामद किए गए हैं। इसमें वे चर्चा कर रहे थे कि कैसे हमले से भारत और पाकिस्तान के बीच युद्ध छिड़ सकता है और अधिक से अधिक आतंकी घुसपैठ में उनकी मदद कर सकता है। ”
एनआईए के अनुसार, जैश-ए-मोहम्मद प्रमुख मौलाना मसूद अजहर का भतीजा, उमर फारूक पुलवामा हमले का मुख्य साजिशकर्त्ता था। उसने चार अन्य साथियों के साथ जम्मू के सांबा सेक्टर में एक सुरंग का उपयोग करते हुए भारत में घुसपैठ की थी। एनआईए के सूत्रों ने कहा कि इस दौरान उनलोगों ने 10 किलोग्राम से अधिक आरडीएक्स भी साथ लाया था जिसका इस्तेमाल पुलवामा हमले में किया गया था।
एनआईए प्रवक्ता एवं एजेंसी की उप महानिरीक्षक सोनिया नारंग ने आरोपपत्र का विवरण देते हुए कहा कि आरोपपत्र डेढ़ साल की ‘‘श्रमसाध्य और सावधानीपूर्वक’’ जांच की परिणति है, जो अन्य केंद्रीय और राज्य सरकार की एजेंसियों के साथ-साथ विदेशी कानून-प्रवर्तन एजेंसियों से प्राप्त मूल्यवान सुराग पर हुई है। उन्होंने कहा, ‘‘बहुत सारे डिजिटल, फोरेंसिक, दस्तावेजी और मौखिक साक्ष्य एकत्र किए गए हैं जो इस नृशंस और बर्बर हमले के लिए आरोपियों के खिलाफ एक मजबूत मामला बनाते हैं। आरोपपत्र में भारत में आतंकवादी हमले करने और कश्मीरी युवाओं को उकसाने और भड़काने में पाकिस्तान स्थित आतंकवादियों की संलिप्तता को रिकार्ड में लाया गया है।’’
नारंग ने कहा, ‘‘फरार आरोपियों के खिलाफ गैर-जमानती वारंट जारी कर दिया गया है और मामले में आगे की जांच जारी है।’’अधिकारियों ने कहा कि इस मामले की जांच एनआईए के संयुक्त निदेशक अनिल शुक्ला के नेतृत्व में एक टीम ने की। इस टीम ने अर्द्धसैनिक बल के काफिले पर किये गए इस हमले के षड्यंत्र को उजागर करने के लिए विभिन्न मामलों में गिरफ्तार किए गए आतंकवादियों और उनके मददगारों के बयान लिये और सबूत जुटाए। हालांकि इसमें दिक्कत भी हुई क्योंकि इस मामले में एनआईए द्वारा वांछित सात आरोपी 2019 में विभिन्न मुठभेड़ों में मारे गए थे।
एनआईए ने कहा कि फारूक 2016-17 में विस्फोटक प्रशिक्षण के लिए अफगानिस्तान गया था और उसने अप्रैल, 2018 में जम्मू-सांबा सेक्टर में अंतरराष्ट्रीय सीमा से भारत में घुसपैठ की। वह पुलवामा में जेईएम कमांडर बना। इसके अनुसार फारूक ने अपने पाकिस्तानी साथियों मोहम्मद कामरान, मोहम्मद इस्माइल उर्फ सैफुल्लाह और कारी यासिर तथा स्थानीय सहयोगियों समीर डार और आदिल अहमद डार के साथ मिलकर षड्यंत्र रचा और आईईडी का उपयोग करते हुए सुरक्षा बलों पर हमले की तैयारी की। एजेंसी के अनुसार अन्य आरोपियों – शाकिर बशीर, इंशा जान, पीर तारिक अहमद शाह और बिलाल अहमद कुचे – ने सभी तरह का साजो-सामान मुहैया कराया और जेईएम के आतंकवादियों को अपने घरों में शरण दी।