टाटा ग्रुप के चेयरमैन रहे साइरस मिस्त्री की हाल ही में एक सड़क दुर्घटना में मृत्यु हो गई थी। उनकी कार एक डिवाइडर से जाकर टकरा गई थी, जिसमें साइरस मिस्त्री समेत दो लोगों की मृत्यु हो गई थी। इस घटना के बाद भारत सरकार ने कार में पीछे की सीट पर भी बैठे लोगों के लिए सीट बेल्ट को अनिवार्य कर दिया। द इंडियन एक्सप्रेस ने इस खंड पर होने वाली दुर्घटनाओं पर भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (एनएचएआई) के 41 वर्षीय परियोजना निदेशक सूरज सिंह से बात की।
सूरज सिंह ने इंडियन एक्सप्रेस से बात करते हुए कहा, “पुलिस और हमारी जांच के मुताबिक इस हादसे की मुख्य वजह कार की तेज रफ्तार थी। कुछ अधिकारियों का यह भी कहना है कि दुर्घटना तीन लेन के राजमार्ग के दो-दो लेन के दो पुलों में विभाजित होने के कारण हुई। वह सबसे बाईं ओर यात्रा कर रही थी। हो सकता हो वह उस मोड़ पर टर्न न ले सकीं हों, जहाँँ थ्री-लेन सड़क दो-लेन पुल में परिवर्तित हो गई।”
सूरज सिंह ने साइरस मिस्त्री के साथ हुए हादसे पर बताया, “मैंने दुर्घटना के दिन दोपहर करीब 3 बजे एनएचएआई अधिकारियों के एक सोशल मीडिया ग्रुप पर तस्वीरें देखीं, लेकिन यह नहीं पता था कि कार में कौन था। हमारी एम्बुलेंस और सड़क पर गश्त करने वाली वैन तुरंत भेजी गई। जब मैंने समाचार देखा तो मुझे पता चला कि कार में कौन थे। रंबल स्ट्रिप्स 5 मिमी मोटी हैं। वे किसी भी वाहन की गति को 10 प्रतिशत तक कम कर देते हैं। ये ज्यादा तकलीफ नहीं देते और ड्राइवर को चेतावनी भी देते हैं।”
सूरज सिंह ने कहा कि यह डिजाइन गलती नहीं है। उन्होंने कहा, “यह राजमार्ग पहले चार लेन वाला था और इसे छह लेन में अपग्रेड किया गया था। सूर्या नदी (जहां दुर्घटना हुई) पर राजमार्ग के खंड पर हमारे पास मुंबई जाने वाली गाड़ी पर दो-दो लेन के दो अलग-अलग पुल हैं। इस को 100 किमी प्रति घंटे की अधिकतम गति के लिए डिज़ाइन किया गया है। लेकिन अगर कोई अधिकतम अनुमति की सीमा 80 किमी प्रति घंटे की रफ्तार से ड्राइव करता है, तो कोई आसानी से मोड़ बदल सकता है। लेकिन अगर कोई 120 किमी प्रति घंटे की रफ्तार से गाड़ी चलाता है, तो उसके लिए मोड़ बदलना मुश्किल होता है।”
सूरज सिंह ने बताया कि मुंबई-अहमदाबाद हाईवे पर हमारे रिकॉर्ड और विश्लेषण के अनुसार हादसों की मुख्य वजह तेज रफ्तार और ओवरटेक करना है। कई दुर्घटनाएं सुबह 4 बजे से सुबह 6 बजे के बीच होती हैं क्योंकि ड्राइवरों को नींद आती है। दोपहर 2 बजे से 3 बजे के बीच जब राजमार्ग अपेक्षाकृत खाली होते हैं, कुछ ड्राइवर गति तेज़ करते हैं और दुर्घटनाओं का शिकार हो जाते हैं।
सूरज सिंह ने कहा कि शाम 6 बजे से शाम 7 बजे के बीच भी दुर्घटनाएं होती है, जब बहुत सारे भारी और छोटे वाहन सड़क पर टकराते हैं। हमने यह भी देखा है कि रविवार को शाम 4 बजे से 8 बजे के बीच बहुत सी दुर्घटनाएं होती हैं, जब मुंबई की ओर आने वाले लोग घर पहुंचने की जल्दी में होते हैं।