राष्ट्रीय हरित अधिकरण (एनजीटी) ने ताजमहल के नजदीक पारिस्थितिकी रूप से संवेदनशील क्षेत्र में 4,000 पेड़ों की कथित तौर पर कटाई और उसकी बिक्री के मामले की जांच का निर्देश दिया है। एनजीटी के अध्यक्ष न्यायमूर्ति स्वतंत्र कुमार की एक पीठ ने वकील एमसी मेहता को ताज इको जोन के निकट जाने के लिए नियुक्त किया। जहां पर कथित रूप से पेड़ काटे गए हैं और दो हफ्ते के भीतर एक रिपोर्ट दाखिल करने को कहा।

एक अखबार की खबर का संज्ञान लेते हुए अधिकरण ने केंद्रीय पर्यावरण एवं वन मंत्रालय और उत्तर प्रदेश सरकार को नोटिस जारी कर अपना जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया। खबर के मुताबिक आगरा के पूर्व डीएफओ ने कथित तौर पर बाबरपुर में 8,000 पेड़ों और पारिस्थितिकी रूप से संवेदनशील जोन, ताजमहल के 500 मीटर के दायरे में तकरीबन 4,000 पेड़ों को कटवा दिया।

पीठ ने कहा कि राज्य सरकार श्री मेहता के उपयोग के लिए सभी जरूरी सुविधाएं और जरूरत पड़ने पर पुलिस सुरक्षा मुहैया कराए। मेहता के दौरे के लिए 50,000 रुपए का शुल्क तय करते हुए पीठ ने कहा- हम निर्देश देते हैं कि भारतीय वन अनुसंधान एवं शिक्षा परिषद (आईसीएफआरई) देहरादून के एक सदस्य जांच के दौरान श्री मेहता के साथ मौजूद रहें। सुनवाई के वक्त उत्तर प्रदेश की ओर से पेश महाधिवक्ता विजय बहादुर सिंह ने पीठ को बताया कि 4000 पेड़ों की कटाई और उसकी बिक्री संबंधी अखबार की वह खबर वास्तव में गलत है जिसके आधार पर अधिकरण ने राज्य सरकार को नोटिस जारी किया।

सिंह ने कहा कि रिपोर्ट एक शरारतपूर्ण हरकत है। उन्होंने कहा कि वे गूगल इमेज और अन्य राजस्व रिकार्ड के आधार पर एक व्यापक हलफनामा दाखिल करेंगे। जिससे पता चलेगा कि खासकर ताज इको जोन में एक भी पेड़ नहीं काटा गया और उसकी बिक्री नहीं हुई। महाधिवक्ता ने बाद में पीठ को बताया कि राज्य ने मामले की जांच के लिए एक उच्च स्तरीय समिति बनाई। जिस पर अधिकरण ने तीन हफ्ते के भीतर रिपोर्ट दाखिल करने का निर्देश दिया।

अधिकरण ने खबर छापने वाले अंग्रेजी अखबार के संवाददाता को भी नोटिस जारी किया। जिसकी खबर का पीठ ने मामले में स्वत: संज्ञान लिया। आगरा डिवजीन के मुख्य वन्य संरक्षक एके जैन ने पीठ को बताया कि ताज इको जोन के 500 मीटर के दायरे में करीब 4,000 पेड़ उखाड़े गए और दूसरी जगह बाबरपुर गांव में जमीन एक बिल्डर को दी गई। जहां से करीब 8,000 पेड़ उखाड़े गए। हालांकि राज्य सरकार ने इससे इनकार किया।

अधिकरण ने जैन को पेड़ कटाई पर पूरे विवरण के साथ दो हफ्ते के भीतर एक हलफनामा दाखिल करने का निर्देश दिया। मामले की अगली सुनवाई 10 अगस्त को मुकर्रर की गई है।