उत्तर प्रदेश के गाजियाबाद और हापुड़ जिलों में उद्योगों व घरों में जबदरस्त भूजल दोहन से गिरे जलस्तर के मुद्दे पर राष्ट्रीय हरित अधिकरण (एनजीटी) ने मंगलवार को केंद्र व उत्तर प्रदेश सरकार से जवाब मांगा। न्यायमूर्ति यूडी साल्वी की अध्यक्षता वाले पीठ ने पर्यावरण एवं वन मंत्रालय, केंद्रीय भूजल प्राधिकरण, उत्तर प्रदेश सरकार, राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड व अन्य को नोटिस जारी कर दो हफ्ते के भीतर जवाब मांगा।
एनजीटी ने यह कदम गाजियाबाद निवासी सुशील राघव और एनजीओ ‘सोसाइटी फॉर प्रोटेक्शन आॅफ एनवायरमेंट एंड बायोडायवर्सिटी’ की याचिका पर उठाया। इसमें गाजियाबाद और हापुड़ में अधिसूचित क्षेत्र में अवैध रूप से भूजल दोहन करने वाली सभी औद्योगिक इकाइयों को बंद करने का आग्रह किया गया है। याचिका में कहा गया है कि अवैध रूप से भूजल दोहन का परिणाम गाजियाबाद और हापुड़ में भूजल स्तर में जबदरस्त कमी के रूप में निकला है। जिसके चलते इन जिलों में अनेक हैंड पंप, ट्यूबवेल सूख गए हैं।
भूजल का अवैध दोहन पर्यावरण (सुरक्षा) कानून 1986 व 2012 में सीजीडब्ल्यूए द्वारा जारी दिशा-निर्देशों व 2015 में अधिसूचित नवीनतम दिशा-निर्देशों का उल्लंघन है। याचिकाकर्ताओं की पैरवी कर रहे वकील राहुल चौधरी ने कहा कि बोरवेलों द्वारा अंधाधुंध भूजल निकाला जाता है जो गाजियाबाद नगर निगम क्षेत्र के अंतर्गत आने वाली लगभग सभी कॉलोनियों के घरों में अवैध रूप से खोदे गए हैं।