कांग्रेस प्रवक्ता अभय दुबे ने कहा कहा आजाद भारत के इतिहास में कांग्रेस के शासनकाल में ऐसा तो नहीं हुआ कि सुप्रीम कोर्ट के जजों को सड़कों पर आकर प्रेस कॉन्फ्रेंस करनी पड़ी और कहना पड़ा कि भारत के प्रजातंत्र को बचा लीजिए जजों ने देश के नागरिकों से अपील की इतनी असहाय तो कभी सु्प्रीम कोर्ट कांग्रेस की सरकार में नहीं थी। इंदिरा गांधी को उसी न्यायालय ने पद पर रहते हुए सजा का प्रावधान घोषित किया था। कर्नाटक के हाईकोर्ट के जज को धमकी दी गई। एंटी करप्शन ब्यूरो जहां बीजेपी की सरकार है प्रतिकूल टिप्पणीं करने पर ट्रांसफर करने की धमकी दी गई। अभय दुबे ने न्यूज-24 में चल रही टीवी डिबेट में एंकर के सवाल – “गिरफ्तारी और जमानत का खेल ये सत्ता का डंडा है। जो सत्ता में होता है वो ये डंडा चलाता है वो डर और खौफ पैदा करता है आम आदमी में क्या मैं गलत कह रहा हूं?” का जवाब देते हुए कहा
अभय दुबे ने कहा, “आजाद भारत के इतिहास में कांग्रेस के शासनकाल में ऐसा तो नहीं हुआ कि सुप्रीम कोर्ट के जजों को सड़कों पर आकर प्रेस कॉन्फ्रेंस करनी पड़ी और कहना पड़ा कि भारत के प्रजातंत्र को बचा लीजिए जजों ने देश के नागरिकों से अपील की इतनी असहाय तो कभी सु्प्रीम कोर्ट कांग्रेस की सरकार में नहीं थी।” इस एंकर ने उन्हें इमरजेंसी की याद दिलाई तो दुबे ने बताया इंदिरा गांधी को उसी न्यायालय ने पद पर रहते हुए सजा का प्रावधान घोषित किया था। कर्नाटक के हाईकोर्ट के जज को धमकी दी गई। एंटी करप्शन ब्यूरो जहां बीजेपी की सरकार है प्रतिकूल टिप्पणीं करने पर ट्रांसफर करने की धमकी दी गई।
आप पिछली सरकारों का प्रतिशोध लेंगे क्याः अभय दुबे
कांग्रेस प्रवक्ता के इस जवाब पर न्यूज एंकर ने उन्हें इमरजेंसी में लोगों को जेल में डालने की बात याद दिलाते हुए रोकने की कोशिश की तो इस पर अभय दुबे ने कहा, क्या आप इतिहास से प्रतिशोध लेंगे? इस पर एंकर ने उनसे सवाल पूछा कि छत्तीसगढ़ पुलिस एक एंकर को गिरफ्तार करने में जितनी फुर्ती दिखाती है उतनी फुर्ती किसी आम आदमी की शिकायत पर दिखाती है क्या? एंकर ने उत्तर प्रदेश के पूर्व डीजीपी को कोट करते हुए सवाल उठाया, क्या पुलिस को राजनीतिक आकाओं ने अनाथ कर दिया है?
पत्रकार पेपर लीक होने की खबर दिखाए तो जेल में डाल देंगे
इस पर कांग्रेस प्रवक्ता ने जवाब देते हुए बलिया का उदाहरण दिया कि अगर बलिया में पेपर लीक होने की खबर अगर पत्रकार दिखाते हैं तो अजित कुमार ओझा हो, दिग्विजय सिंह हो या मनोज कुमार गुप्ता हों अमर उजाला या राष्ट्रीय सहारा के आप जेल भेज देंगे? सीधी में अगर पत्रकार भारतीय जनता पार्टी के खिलाफ खबर दिखा दे तो नग्न अवस्था में जेल में डालकर आपने फोटो वायरल की। आपके चैनल पर डिबेट चल रही थी और मैं उसका हिस्सा था।
मिडडे मील में खराब भोजन की खबर दिखाएं तो उस पर गंभीर धाराएं लगाएंगे?
मिर्जापुर में अगर कोई पत्रकार मिडडेमील के भोजन की गुणवत्ता की खबर डाल देगा तो आप उसको 193, 186, 420 और 120बी के तहत मामला दर्ज करेंगे? मंदीप पुनिया अगर किसानों की खबर दिखाए तो आप उसको जेल में डाल देंगे? मणिपुर में तो इतनी हद हो गई कि एक पत्रकार ने कठपुतली शब्द का प्रयोग कर दिया था तो पहले राजद्रोह का केस लगाया तो कोर्ट से राहत मिलने के बाद तो उसको एनएसए ने एक साल के लिए जेल भेज दिया ये कहां का न्याय है? इस पर कोर्ट ने गंभीर टिप्पणियां की हैं।
विजय माल्या के फरार होने पर उठाए सवाल
ये 41ए का अमेंडमेंट कब आया? 2010 में कांग्रेस की सरकार में नहीं आया ये? मैं इसपर गंभीर सवाल खड़े करता हूं। विजय माल्या का लुकआउट नोटिस सीबीआई रिवोक करती है और इंटीमेट करने की बात करती है और उसी दौरान वो हिन्दुस्तान से फरार हो जाता है। अब मैं सिर्फ उस बात पर प्रकाश डालूंगा जो कि कोर्ट ने गंभीर टिप्पणी की है और सरकार से अपेक्षा करता हूं कि हम सामूहिकता से सरकार का साथ देंगे सरकार उस पर सकारात्मक कोशिश करे सुप्रीम कोर्ट ने जो भावना व्यक्त की है। उन्होंने कहा कि दो तिहाई लोग अंडर ट्रायल जेलों में हैं वो भी कोर्ट ये टिप्पणी कर रही है कि इनको जेल में नहीं होना चाहिए था ऐसे अधिसंख्य लोग हैं।
5-7 साल तक ट्रायल पर उठाए सवाल
उन्होंने कहा 41ए का कंप्लाएंस कीजिए आप लोग नोटिस इश्यू कीजिए जो बात आपने अर्णेश कुमार की बताई है। एक और गंभीर टिप्पणी उन्होंने ये भी की कि जो सीआरपीसी का 440 है, 317 है, 309 है स्पीडी ट्रायल और बांड की राशि वो कह रहे हैं कि आप बांड की राशि इतना मत कीजिए कि गरीब लोग दे ही ना पाएं और इन सब प्रक्रियाओं के बीच 5 साल 7 साल का समय बीत जाता है और बाद में पता चलता है कि वो लोग निर्दोष हैं तो फिर कोर्ट ने कहा आप उसके साथ न्याय कैसे करोगे?