यूरोपीय जलवायु एजंसी की गणना के अनुसार इस साल नवंबर में लगातार छठे महीने धरती पर गर्मी का नया कीर्तिमान बना। अब तक शरद ऋतु का सबसे गर्म दौर है। वर्ष 2023 में केवल एक महीना शेष है और यह साल सबसे गर्म वर्ष का कीर्तिमान बनाने की ओर अग्रसर है। यूरोपीय अंतरिक्ष एजंसी की कापरनिकस जलवायु परिवर्तन सेवा ने बुधवार तड़के घोषणा की कि नवंबर पिछले साल के सबसे गर्म नवंबर की तुलना में लगभग एक तिहाई डिग्री सेल्सियस (0.57 डिग्री फारेनहाइट) अधिक गर्म महीना था।
वैज्ञानिकों ने कहा कि नवंबर पूर्व-औद्योगिक समय की तुलना में 1.75 डिग्री सेल्सियस अधिक गर्म था, जो अक्तूबर और सितंबर के बाद किसी भी महीने के लिए औसत से अधिक गर्म था। कापरनिकस की उपनिदेशक सामंथा बर्गेस ने कहा, ‘पिछला आधा साल वास्तव में चौंकाने वाला रहा है। वैज्ञानिक इसके कारण का वर्णन नहीं कर पा रहे हैं।’
नवंबर में औसत तापमान 14.22 डिग्री सेल्सियस था, जो पिछले 30 वर्षों के औसत से 0.85 डिग्री सेल्सियस से अधिक गर्म है। बर्गेस के अनुसार, महीने के दौरान दो दिन पूर्व-औद्योगिक समय की तुलना में दो डिग्री सेल्सियस अधिक गर्म थे, जो पहले कभी नहीं हुआ था। कापरनिकस के वैज्ञानिकों ने गणना की है कि यह साल पूर्व-औद्योगिक समय की तुलना में अब तक 1.46 डिग्री सेल्सियस अधिक गर्म रहा है, जो कि 2016 के पिछले सबसे गर्म वर्ष की तुलना में लगभग सात डिग्री अधिक गर्म तापमान है। यह जलवायु परिवर्तन के लिए विश्व द्वारा निर्धारित अंतरराष्ट्रीय सीमा के बहुत करीब है।कापरनिकस की गणना के अनुसार, इस साल की उत्तरी शरद ऋतु भी दुनिया की अब तक की सबसे गर्म शरद ऋतु है।
दूसरी ओर, दुबई में चल रहे संयुक्त राष्ट्र जलवायु सम्मेलन में दो सौ वैज्ञानिकों की टीम ने बुधवार को जारी एक अहम रिपोर्ट में आगाह किया कि मौजूदा तापमान वृद्धि के कारण पृथ्वी पर जीवन के लिए जरूरी पांच महत्त्वपूर्ण सीमाओं के पार कर जाने का खतरा है। वैज्ञानिकों के अनुसार, दुबई में अंतरराष्ट्रीय जलवायु सम्मेलन (सीओपी28) में जारी की गई ‘ग्लोबल टिपिंग पाइंट्स’ रिपोर्ट प्राकृतिक प्रणालियों की सीमाओं पर किया गया अब तक का सबसे गहन मूल्यांकन है। यह 26 महत्त्वपूर्ण बिंदुओं की पहचान करता है, जिनमें क्रायोस्फीयर (हिमखंड) जैसे अहम बिंदु शामिल हैं, जो जलवायु परिवर्तन के मौजूदा स्तर के कारण पहले से ही खतरे में हैं।
रिपोर्ट के अनुसार, पांच प्रमुख बिंदुओं में ग्रीनलैंड और पश्चिमी अंटार्कटिक में बर्फ की चादरें, उत्तरी अटलांटिक उपध्रुवीय गायर सर्कुलेशन, गर्म पानी की मूंगा चट्टानें और कुछ पर्माफ्रास्ट क्षेत्र हैं। ब्रिटेन के एक्सेटर विश्वविद्यालय में जलवायु परिवर्तन और पृथ्वी प्रणाली विज्ञान के अध्यक्ष और रिपोर्ट के प्रमुख लेखक प्रोफेसर टिम लेनन ने कहा, ये महत्त्वपूर्ण बिंदु बहुत बड़े पैमाने पर खतरे पैदा करते हैं जिनका मानवता ने पहले कभी सामना नहीं किया है।’
नार्वे के ओस्लो विश्वविद्यालय में गवर्नेंस लीड रिसर्च फेलो मंजना मिल्कोरिट ने कहा, ‘जैसे ही हम 1.5 डिग्री सेल्सियस पार करेंगे, इन बिंदुओं को पार करने के प्रयासों के उल्लंघन को रोकने के उपाय उपलब्ध नहीं रहेंगे।’ जलवायु वार्ता में वार्ताकार जलवायु परिवर्तन के प्राथमिक कारण जीवाश्म ईंधन के जलने से निपटने के तरीकों पर चर्चा कर रहे हैं।
कश्मीर में शीतलहर से जनजीवन प्रभावित
भारतीय मौसम विभाग ने बताया कि कश्मीर में ठंड तेज हो गई है। तापमान जमाव बिंदु के नीचे पहुंच गया है, जिससे जनजीवन प्रभावित होने लगा है। मंगलवार की रात का शून्य से 5.1 डिग्री सेल्सियस नीचे तापमान रहा। पहलगाम घाटी में सबसे ठंडा स्थान रहा। दूसरी ओर, एक ताजा पश्चिमी विक्षोभ 11 दिसंबर से फिर सक्रिय हो सकता है।
मौसम विभाग के अधिकारियों ने बुधवार को यह जानकारी दी कि बीते दिनों हुई बर्फबारी के बाद घाटी में ठंड बढ़ गई है। बढ़ी सर्दी के कारण पूरे कश्मीर में न्यूनतम तापमान जमाव बिंदु से नीचे पहुंच गया है। उन्होंने बताया कि जम्मू-कश्मीर की ग्रीष्मकालीन राजधानी श्रीनगर में न्यूनतम तापमान शून्य से दो डिग्री सेल्सियस नीचे दर्ज किया गया, जबकि पिछली रात यह शून्य से नीचे 1.4 डिग्री सेल्सियस था।
दक्षिण कश्मीर के अनंतनाग जिले के पहलगाम में तापमान शून्य से नीचे 5.1 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया। इतना ही नहीं, पहलगाम मंगलवार की रात घाटी का सबसे ठंडा इलाका रहा। अधिकारियों ने बताया कि बारामूला जिले के गुलमर्ग में न्यूनतम तापमान शून्य से नीचे 2.2 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया। काजीगुंड में न्यूनतम तापमान शून्य से नीचे दो डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया, जो कि पिछली रात शून्य से नीचे 1.6 डिग्री सेल्सियस था।