प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के हाल ही में हुए कैबिनेट विस्तार में अश्विनी वैष्णव को रेलवे व आईटी जैसे महत्वपूर्ण मंत्रालय मिलने से हर कोई हैरान हो गया था। वैष्णव चर्चाओं से भले ही दूर रहे हों लेकिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के पिछले कई सालों से करीबी रहे हैं। वह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को गुजरात में मुख्यमंत्री रहने के दौरान से ही जानते हैं। इतना ही नहीं, उनका भावनगर से भी खास जुड़ाव रहा है। तो चलिए जानते हैं उनके बारे में।
नरेंद्र मोदी कनेक्शन: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संपर्क में आने से पहले अश्विनी वैष्णव बीजेपी के कई बड़े और दिग्गज नेताओं के करीबी रह चुके है। देश के नए रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव 1994 बैच के आईएएस अझिकारी भी थे, उन्होंने 2003 तक ओडिशा में अपनी सेवाएं दी, यहां वह बालासोर व कटक जिले के डीएम रहे थे। इसके बाद वह पूर्व पीएम अटल बिहारी वाजपेयी के ऑफिस में डिप्टी सेक्रेटरी के पद पर काबिज हो गए। वाजपेयी के निजी सचिव रहने के दौरान ही उनका संपर्क पीएम मोदी से हुआ। मोदी उनकी कार्यशैली से बेहद प्रभावित हुए और दोनों की मुलाकातें होने लगी। मोदी के संपर्क में आने के बाद ही वैष्णव ने IAS की नौकरी से इस्तीफा दे दिया था।
BJP-BJD कड़ी: साल 2019 में बीजेपी ने वैष्णव को राज्यसभा भेजा गया। अश्विनी वैष्णव के पिता ने एक अखबार से बात करते हुए बताया कि साल 2019 में अश्विनी को राज्यसभा भेजने में मोदी और शाह की जोड़ी ने खूब मेहनत की थी। उस समय ओडिशा में बीजेपी के पास पर्याप्त विधायक नहीं थे लेकिन मोदी-शाह के चलते सत्ताधारी पार्टी BJD ने उनका समर्थन किया था और वह निर्विरोध चुने गए थे। यहीं से संकेत मिलने लगे थे कि आने वाले समय में अश्विनी वैष्णव को बड़ी जिम्मेदारी मिल सकती है।
भावनगर कनेक्शन: नए रेलमंत्री का जन्म राजस्थान के जोधपुर में हुआ था, लेकिन उनकी कई पीढ़िया गुजरात के भावनगर में ही रही हैं। शायद इसी कारण वह धाराप्रवाह गुजराती बोल लेते हैं। जानकार बताते हैं कि पीएम मोदी पहली बार जब वैष्णव से मिले तो उनकी धाराप्रवाह गुजराती सुनकर हैरान रह गए थे। तभी से वह तकनीकी बातों के लिए वैष्णव के संपर्क में आए और समय के साथ यह मित्रता बढ़ती गई।
बताते चलें कि अश्विनी वैष्णव ने IIT कानपुर से इंजीनियरिंग की डिग्री ली, इसके बाद उन्होंने UPSC की परीक्षा में सफलता हासिल की और 1994 बैच के आईएएस अधिकारी बने। यहां उनकी रैंक 27वीं रही थी। वैष्णव के पास पेनसिलवानिया यूनिवर्सिटी से एमबीए की डिग्री भी थी। इसके बाद वह एक सफल उद्यमी भी साबित हुए और अब राजनीति में शीर्ष नेतृत्व के साथ अहम मंत्रालय संभाल रहे हैं।
पीएम मोदी ने लिया पूरा इम्तिहान: अश्विनी वैष्णव के नौकरी से त्यागपत्र देने के चार बाद ही नरेंद्र मोदी देश के प्रधानमंत्री बने लेकिन मंत्री की कुर्सी तक पहुंचने में उन्हें सात साल का इंतजार करना पड़ा। आज भले ही वह यह कह सकते हैं कि इंतजार का फल मीठा होता है लेकिन एक समय ऐसा भी आया था जब पीएम ने वैष्णव को अपने कैबिनेट में शामिल करने की कोशिश की थी तो उन्हें संघ का विरोध भी झेलना पड़ा था।