New Delhi Railway Station Stampede: सुप्रीम कोर्ट ने नई दिल्ली रेलवे स्टेशन पर हुई भगदड़ से संबंधित याचिका खारिज कर दी। शुक्रवार को याचिकाकर्ता आनंद लीगल एड फोरम ट्रस्ट ने जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस प्रशांत कुमार मिश्रा की पीठ को बताया कि रेलवे प्रशासन मौतों की वास्तविक संख्या छिपा रहा है, जो 18 बताई गई थी। इसके अलावा, याचिकाकर्ताओं ने कोर्ट को बताया कि प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार, भगदड़ के दौरान लगभग 200 मौतें हुईं और कई पीड़ितों के परिवारों को मुआवजा (अनुग्रह भुगतान) नहीं दिया गया था। उन्होंने रेलवे अधिकारियों के खिलाफ सीबीआई जांच की भी मांग की।

कोर्ट ने पूछा कि क्या याचिकाकर्ता यह दावा कर रहा है कि राज्य सरकार इस मुद्दे को पूरी तरह से नजरअंदाज कर रही है और 200 मौतों के कथित दावे का क्या सबूत है? कोर्ट ने याचिकाकर्ताओं से आगे पूछा कि क्या उन्हें ऐसी कोई घटना देखने को मिली है जहां मृतक पीड़ितों के परिवार के सदस्यों ने दावा किया हो कि उन्हें अनुग्रह राशि नहीं मिली है। याचिकाकर्ताओं के वकील को सुनने के बाद कोर्ट ने याचिका खारिज कर दी। कोर्ट ने टिप्पणी करते हुए कहा कि प्रभावित लोगों को कोर्ट में आना चाहिए।

बता दें, 15 फरवरी को महाकुंभ नई दिल्ली रेलवे स्टेशन पर भगदड़ मच गई थी , जिसमें 18 लोगों की मौत हो गई थी। यह त्रासदी रात 10 बजे हुई, जब लाखों श्रद्धालु महाकुंभ 2025 के लिए प्रयागराज जा रहे थे, जिससे स्टेशन पर काफी भीड़भाड़ हो गई।

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इस घटना के बाद भारतीय रेलवे ने मृतकों के परिवारों के लिए 10 लाख रुपये, गंभीर रूप से घायलों के लिए 2.5 लाख रुपये और मामूली रूप से घायलों के लिए 1 लाख रुपये के मुआवजे की घोषणा की। घटना के बाद रेलवे अधिकारियों ने मामले की जांच के लिए एक उच्च स्तरीय कमेटी बनाई थी।

बता दें, रेल मंत्रालय देश भर के लगभग 60 रेलवे स्टेशनों पर स्थायी होल्डिंग एरिया भी स्थापित कर रहा है, जो भीड़भाड़ वाले हैं। मंत्रालय के सूत्रों के अनुसार, यह निर्णय व्यस्त रेलवे स्टेशनों पर अक्सर इकट्ठा होने वाली बड़ी भीड़ को प्रबंधित करने, सुगम परिवहन सुनिश्चित करने और भीड़भाड़ से संबंधित मुद्दों को कम करने की व्यापक रणनीति का हिस्सा है।

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