पुलवामा हमले के सिलसिले में गृह मंत्री राजनाथ सिंह के आवास पर शनिवार (16 फरवरी) को हाई-लेवल मीटिंग हुई। राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (एनएसए) अजीत डोभाल के साथ इसमें रिसर्च एंड एनालिसिस विंग (रॉ) के प्रमुख अनिल धसमाना, इंटेलिजेंस ब्यूरो (आईबी) के मुखिया राजीव जैन और गृह सचिव राजीव गाबा पहुंचे। बैठक में इन सभी ने पाकिस्तान समर्थित आतंकवाद को बेनकाब करने के लिए डोजियर तैयार किया है।
सूत्रों के हवाले से एनडीटीवी की एक रिपोर्ट में कहा गया, “फाइनैंशियल एक्शन टास्क फोर्स (एफएटीएफ) को एक डोजियर सौंपा जाएगा, जिसमें हम पुलवामा हमले में पड़ोसी मुल्क के हाथ को बेनकाब करेंगे।” बता दें कि एफएटीएफ कई देशों के सरकारों के बीच की संस्था है, जो कई उद्देश्यों के साथ आतंकवाद के लिए की जाने वाली फंडिंग पर रोक लगाने को लेकर काम करती है। फ्रांस की राजधानी पेरिस में इसका मुख्यालय है।
भारत इस डोजियर के जरिए पाकिस्तान पर न केवल दबाव बनाएगा, बल्कि आतंकवाद से उसके जुड़े तारों को भी सबके सामने लाने की कोशिश करेगा। डोजियर में इस बात के प्रमाण दिए जाएंगे कि पुलवामा हमले और अन्य बड़े मामलों में पड़ोसी मुल्क का हाथ था। साथ ही यह भी बताया जाएगा कि फिदायीन हमलावर आदिल अहमद डार का हैंडलर कौन था। सूत्रों के अनुसार, हैंडलर घाटी में ही छिपा है, जबकि सुरक्षाबल उसे खोजने के लिए लगातार दबिश में जुटे हैं।
एफएटीएफ को इस डोजियर के जरिए यह भी बताया जाएगा कि कैसे पाकिस्तानी एजेंसियां गुप-चुप तरीके से जैश-ए-मोहम्मद सरीखे कुख्यात आतंकी संगठनों की फंडिंग करती हैं। यही नहीं, एक अन्य अधिकारी की मानें तो अगले हफ्ते पेरिस में एफएटीएफ की बैठक में भारत पाकिस्तान को ब्लैलिस्ट करने की मांग पर भी दवाब बनाएगा। अगर पाक को काली सूची में डाल दिया गया, तब विश्व बैंक, एशियाई विकास बैंक, यूरोपीय संघ और अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) जैसी संस्थाओं में भी उसकी छवि बेहद खराब हो सकती है। इससे पहले, 2018 में पाकिस्तान को ग्रे लिस्ट में रखा गया था।
JK में अलगाववादियों से वापस ली जाएगी सुरक्षाः पाकिस्तानी इंटेलिजेंस एजेंसी आईएसआई से संदिग्ध तालुल्क रखने वाले जम्मू-कश्मीर के अलगाववादियों को दी गई सुरक्षा की जल्द समीक्षा की जाएगी। एक शीर्ष अधिकारी के हवाले से पीटीआई की रिपोर्ट में कहा गया- जम्मू-कश्मीर प्रशासन समीक्षा के बाद ऐसे अलगाववादियों की सुरक्षा वापस ले लेगा। केंद्र सरकार के सुझाव पर यह समीक्षा की जाएगी, जबकि राज्य के गृह सचिव समीक्षा को अंजाम देंगे और अंतिम निर्णय लेंगे।